ETrendingIndia रायपुर / छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले की ग्राम पंचायत खजुरी से एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जहां मनरेगा बना दिव्यांग दंपत्ति का सहारा। जन्म से दृष्टिहीन श्यामसाय पैकरा और उनकी पत्नी निरपति के लिए जीवन यापन एक कठिन चुनौती थी। सामाजिक सहयोग और जिला प्रशासन के प्रयासों से इनका नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में जोड़ा गया, जिससे इनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आया।
पहले इनके पास कोई स्थायी आय का स्रोत नहीं था, केवल राशन और पेंशन से काम चलाना मुश्किल हो रहा था। लेकिन जब मनरेगा बना दिव्यांग दंपत्ति का सहारा, तो इन्हें रोजगार मिला और वे अब कार्यस्थल पर मजदूरों को पानी पिलाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। यह कदम न केवल आत्मसम्मान को बनाए रखता है, बल्कि समाज को भी एक नई सोच की दिशा देता है।
जिला प्रशासन की पहल पर न सिर्फ इनका जॉब कार्ड बना, बल्कि प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई। आज यह दंपत्ति शासन की योजनाओं का जीवंत उदाहरण बन चुका है।
वास्तव में, मनरेगा बना दिव्यांग दंपत्ति का सहारा, जिससे उन्होंने भीख मांगने की बजाय खुद के लिए रोजगार सृजित किया। यह कहानी बताती है कि यदि इच्छाशक्ति हो और योजनाओं का सही लाभ मिले, तो कोई भी परिस्थिति असंभव नहीं होती। ऐसे उदाहरण समाज को प्रेरणा देने वाले होते हैं।