ETrendingIndia रायपुर / तेन्दूपत्ता संग्रहण छत्तीसगढ़ में केवल वन उत्पाद नहीं, बल्कि वनवासी समुदाय के लिए सम्मानजनक आय और आजीविका का मजबूत जरिया बन चुका है। इस वर्ष प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद राज्य सरकार की नीतियों और संग्राहकों की मेहनत ने इस चुनौती को अवसर में बदला है।
राज्य में 902 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से 10,631 फड़ों में तेन्दूपत्ता संग्रहण छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों में किया जा रहा है। अब तक 10 लाख से अधिक संग्राहक परिवारों ने 10.84 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता बेचा है, जिसका मूल्य लगभग 596 करोड़ रुपये है। यह राशि डीबीटी के जरिए सीधे संग्राहकों के खातों में भेजी जा रही है, जिससे पारदर्शिता और समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित हो रहा है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इसे आदिवासी अंचलों की आर्थिक रीढ़ बताते हुए कहा कि तेन्दूपत्ता सिर्फ पत्ता नहीं, बल्कि जीवन की आशा है। उन्होंने बताया कि पारिश्रमिक दर को बढ़ाकर 5500 रुपये प्रति मानक बोरा किया गया है, जिससे संग्राहकों को पहले की तुलना में अधिक लाभ मिल रहा है।
इसके साथ ही पत्तों का उपचार, बोरा भराई और परिवहन का कार्य भी तेजी से जारी है। यह प्रक्रिया तेन्दूपत्ता संग्रहण छत्तीसगढ़ को वनोपज आधारित आत्मनिर्भर राज्य की ओर अग्रसर कर रही है, जो आने वाले समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत बनाएगी।