छत्तीसगढ़ माओवादी आत्मसमर्पण
छत्तीसगढ़ माओवादी आत्मसमर्पण

रायपुर / ETrendingIndia / छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद (LWE) के खिलाफ चल रही रणनीतिक कार्रवाई को बड़ी सफलता मिली है। छत्तीसगढ़ माओवादी आत्मसमर्पण के तहत दो शीर्ष माओवादी नेताओं ने सोमवार को सुरक्षा बलों के समक्ष हथियार डाल दिए।

यह आत्मसमर्पण माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी कामयाबी है।

मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल (MOPOS) के कमांडर जीवन तुलावी और उनकी पत्नी अगाशा ने राजनांदगांव रेंज के आईजी अभिषेक शांडिल्य,

एसपी वाई.पी. सिंह और ITBP की 27वीं बटालियन के कमांडेंट विवेक कुमार पांडे की उपस्थिति में आत्मसमर्पण किया।

ITBP की 44वीं बटालियन के अधिकारी भी मौके पर मौजूद थे।

जीवन तुलावी, जो मोला थाना क्षेत्र के परविदीह गांव के निवासी हैं, पिछले 25 वर्षों से सक्रिय थे।

वह वर्तमान में माड़ डिवीजन के डिविजनल कमेटी सदस्य और शिक्षा इकाई के कमांडर थे।

उन पर ₹8 लाख का इनाम घोषित था।

छत्तीसगढ़ माओवादी आत्मसमर्पण अभियान के अंतर्गत यह आत्मसमर्पण पुलिस के लिए बहुत अहम है।

उनकी पत्नी अगाशा, जो तेलीटोला गांव की निवासी हैं, माओवादियों की चेतना नाट्य मंडली (CNM) की कमांडर थीं।

वह एक वक्ता, गीतकार, गायिका और प्रचारक के रूप में कार्यरत थीं।

साथ ही, प्रेस टीम और डिजिटल संचार में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

वे वर्षों से LWE प्रचार तंत्र की प्रमुख सदस्य रहीं।

इस आत्मसमर्पण को सुरक्षा बलों द्वारा मोला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी (MMAC) और पूर्व राजनांदगांव क्षेत्र में चलाए जा रहे निरंतर अभियानों का परिणाम माना जा रहा है।

पिछले तीन महीनों में इसी क्षेत्र से पांच वरिष्ठ माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जिससे संगठन की नींव कमजोर हुई है।

छत्तीसगढ़ माओवादी आत्मसमर्पण घटनाक्रम रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है,

क्योंकि यह क्षेत्र महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और छत्तीसगढ़ के कांकेर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों से सटा हुआ है।

आत्मसमर्पण से न केवल विचारधारा पर चोट पहुंची है, बल्कि नेटवर्क की ताकत भी कमजोर हुई है।