रायपुर / ETrendingIndia / Why no FIR on cash found at Justice Verma’s house : Parliamentary committee raises questions/
जस्टिस वर्मा नकदी मामला , इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास से नकदी मिलने के मामले में अब तक प्राथमिकी दर्ज न होने और उनके विरुद्ध किसी ठोस कार्रवाई की कमी को लेकर संसद की जन शिकायत और विधि से जुड़ी समिति ने गंभीर सवाल उठाए हैं।
जस्टिस वर्मा नकदी मामला में समिति के सदस्यों ने बैठक में पूछा कि जब किसी सरकारी कर्मचारी को भ्रष्टाचार के मामूली आरोप पर नौकरी से निलंबित किया जा सकता है, तो फिर एक उच्च न्यायिक पदाधिकारी पर नकदी मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ?
सांसदों ने यह भी कहा कि “न्याय सबके लिए बराबर क्यों नहीं ?” सुप्रीम कोर्ट की समिति की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बावजूद सरकार की ओर से जज को हटाने के लिए प्रस्ताव आगे क्यों नहीं बढ़ाया गया ?
सदस्यों ने जजों के लिए आचार संहिता अनिवार्य किए जाने की मांग की और कहा कि ऐसे मामलों से न्यायपालिका की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
बैठक में यह भी उल्लेख हुआ कि न्याय विभाग ने मामले में विस्तृत नोट तो तैयार कर लिया है, लेकिन कार्रवाई में देर हो रही है। समिति ने जजों के अवकाश ग्रहण के वर्षों बाद तक सरकारी सुविधा का लाभ लेने जैसी व्यवस्थाओं पर भी पुनर्विचार की आवश्यकता जताई।
इस मुद्दे ने न्यायपालिका की जवाबदेही और निष्पक्षता पर गंभीर बहस छेड़ दी है।