रायपुर / ETrendingIndia / अमेरिका को इंजीनियरिंग निर्यात , मई 2025 में भारत से अमेरिका को इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 4.6 प्रतिशत बढ़कर 1.74 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह वृद्धि टैरिफ संबंधी अनिश्चितताओं के बीच व्यापारिक स्थिरता को दर्शाती है।

इसके साथ ही, जर्मनी, ब्रिटेन और नीदरलैंड जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों को भी निर्यात में अच्छा सुधार देखने को मिला। इससे मध्य-पूर्वी देशों – जैसे यूएई, सऊदी अरब और तुर्की – में आई गिरावट की भरपाई हो सकी।

हालांकि, इंजीनियरिंग निर्यात का कुल आंकड़ा मई में 0.82 प्रतिशत गिरकर 9.89 अरब डॉलर रह गया। इसके बावजूद, इंजीनियरिंग वस्तुएं भारत के कुल माल निर्यात में 25.53 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर बनी रहीं।

ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने बताया कि खाड़ी देशों को होने वाले निर्यात में गिरावट के पीछे भू-राजनीतिक तनाव और लॉजिस्टिक चुनौतियां मुख्य कारण हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एल्युमिनियम जैसे धातुओं का निर्यात वैश्विक प्रतिस्पर्धा के कारण दबाव में है।

इसके बावजूद, अप्रैल–मई 2025 की अवधि में कुल इंजीनियरिंग निर्यात 4.77 प्रतिशत बढ़कर 19.40 अरब डॉलर पहुंच गया। खासकर अप्रैल 2025 में इसमें 11.28 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई, जो इस क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है।

अंत में, 34 इंजीनियरिंग श्रेणियों में से 26 में साल-दर-साल आधार पर वृद्धि दर्ज की गई। लेकिन मशीन टूल्स, एयरक्राफ्ट पार्ट्स, जहाजों और एल्यूमिनियम जैसे क्षेत्रों में गिरावट देखी गई। उत्तर अमेरिका अब भी सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है, जिसकी हिस्सेदारी 21.3 प्रतिशत है, इसके बाद यूरोपीय संघ 17.7% और पश्चिम एशिया-उत्तरी अफ्रीका 14.3% पर रहे।