गुलाब खुशबू वाली लीची निर्यात
गुलाब खुशबू वाली लीची निर्यात

ETrending India /India exports first consignment of rose-scented litchi from Pathankot to Qatar/ भारत के बागवानी निर्यात क्षेत्र को एक नई उपलब्धि मिली है। शुक्रवार को पंजाब के पठानकोट से गुलाब खुशबू वाली लीची निर्यात की पहली खेप कतर के लिए रवाना हुई। इस एक मीट्रिक टन खेप को एपीडा और पंजाब बागवानी विभाग के सहयोग से भेजा गया।

इसके अलावा, आधा मीट्रिक टन लीची दुबई को भी निर्यात की गई। इस पहल से भारत के ताजे फलों के वैश्विक बाज़ार में उपस्थिति और मजबूत होगी।

यह लीची सुजानपुर के उन्नत किसान प्रभात सिंह द्वारा उत्पादित की गई है। इस कारण, इसकी गुणवत्ता और स्वाद बेहतरीन है।

गुलाब खुशबू वाली लीची निर्यात की सफलता में पठानकोट की अनुकूल जलवायु का बड़ा योगदान है।

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार, वर्ष 2023-24 में पंजाब ने 71,490 मीट्रिक टन लीची का उत्पादन किया, जो भारत के कुल उत्पादन का 12% से अधिक है।

भारत का फल एवं सब्ज़ी निर्यात 2024–25 में 3.87 अरब डॉलर पहुंच गया है। लीची, जामुन, चेरी जैसे फलों को अब अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल रही है।

एपीडा और सरकार के निरंतर प्रयासों से भारत उच्च गुणवत्ता वाले बागवानी उत्पादों का प्रमुख निर्यातक बनता जा रहा है।

भारत में लीची की खेती:

भारत लीची उत्पादन में विश्व के अग्रणी देशों में से एक है। यह रसीला और सुगंधित फल गर्मी के मौसम में खूब पसंद किया जाता है।

लीची मुख्यतः बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और असम जैसे राज्यों में उगाई जाती है।

बिहार को लीची की राजधानी माना जाता है, जहाँ मुजफ्फरपुर की ‘शाही लीची’ को भौगोलिक संकेतक (GI टैग) भी प्राप्त है।

यह लीची अपने अनोखे स्वाद और गुलाबी रंग के लिए जानी जाती है।

लीची की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त मानी जाती है।

पेड़ को फल देने में 4–5 साल लगते हैं, लेकिन एक बार फल देने के बाद यह कई वर्षों तक उत्पादन करता है।

लीची न सिर्फ ताजे फल के रूप में बल्कि जूस, जैम और अन्य प्रसंस्कृत उत्पादों के लिए भी इस्तेमाल की जाती है।

अंत में, सरकार और एपीडा जैसे संस्थानों के सहयोग से अब लीची का निर्यात भी बढ़ रहा है।

इससे किसानों को बेहतर आमदनी और वैश्विक पहचान दोनों मिल रही है।

लीची अब केवल स्वाद का प्रतीक नहीं, बल्कि भारत के कृषि व्यापार का भी एक अहम हिस्सा बन चुकी है।