फौजा सिंह का निधन
JALANDHAR, INDIA - MARCH 20: 102-year-old marathon runner Fauja Singh at his house on March 20, 2014 in Jalandhar, India. Fauja Singh is an Indian centenarian marathon runner of Punjabi Sikh descent. He is a world record holder in his age bracket. (Photo by Priyanka Parashar/Mint via Getty Images)

रायपुर / ETrendingIndia / दुनिया के सबसे उम्रदराज़ धावक फौजा सिंह का निधन

फौजा सिंह का निधन पंजाब के जालंधर ज़िले के पास स्थित ब्यास पिंड गांव में एक सड़क हादसे में हो गया। उनकी उम्र 114 वर्ष थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, जब वे सड़क पार कर रहे थे, तब एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी।

पुलिस ने बताया कि हादसे की जानकारी उनके एक परिजन ने दी। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि उन्हें एक कार ने टक्कर मारी। मामले की जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है।


सौ साल की उम्र के बाद भी दौड़ते रहे फौजा सिंह

फौजा सिंह, भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक थे, जो दुनिया में सबसे उम्रदराज़ मैराथन धावक के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने सौ वर्ष की आयु पार करने के बाद भी कई मैराथन दौड़ें पूरी कीं।

उन्होंने अपने जीवन में 100 से अधिक मैराथन दौड़ पूरी की हैं। उनकी जीवटता और इच्छाशक्ति ने दुनियाभर के लाखों लोगों को प्रेरित किया।


: जीवन का प्रेरणादायक सफर

फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को अविभाजित पंजाब के ब्यास पिंड में हुआ था। 1994 में अपने पांचवें बेटे की दुर्घटनावश मृत्यु के बाद उन्होंने दौड़ को अपने दुःख पर काबू पाने का जरिया बनाया।

उन्होंने 1990 के दशक में इंग्लैंड प्रवास किया और 89 वर्ष की उम्र में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दौड़ना शुरू किया। इसके बाद वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर तेजी से पहचाने जाने लगे।


उपलब्धियों से भरा रहा जीवन

फौजा सिंह ने 100 वर्ष की आयु में एक ही दिन में आठ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए। यह कारनामा उन्होंने कनाडा के टोरंटो में ‘फौजा सिंह इनविटेशनल मीट’ में किया था।

उनकी जीवनी “Turbaned Tornado” ब्रिटेन की संसद (हाउस ऑफ लॉर्ड्स) में वर्ष 2011 में लॉन्च की गई थी।

साथ ही, वे 2012 लंदन ओलंपिक में टॉर्च बियरर बने और उन्हें 2015 में ब्रिटिश एम्पायर मेडल (BEM) से सम्मानित किया गया।


निष्कर्षतः – एक युग का अंत, एक प्रेरणा का आरंभ

फौजा सिंह का निधन न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है।

निष्कर्षतः, उन्होंने यह दिखाया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और आत्मबल, अनुशासन और प्रेरणा से कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।