रायपुर / ETrendingIndia / भारत व्यापार घाटा जून , जून 2025 में व्यापार घाटा घटा, निर्यात-आयात स्थिर
भारत का व्यापार घाटा जून 2025 में घटकर 18.78 अरब डॉलर हो गया, जो मई 2025 में 21.88 अरब डॉलर था। यह जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में दी गई है।
वस्तु निर्यात जून में लगभग स्थिर रहा और 35.14 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने यह आंकड़ा 35.16 अरब डॉलर था। इसके विपरीत, आयात में 3.71 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 53.92 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष 56 अरब डॉलर था।
सेवाओं का निर्यात मजबूत, अधिशेष बरकरार
सेवाओं के क्षेत्र में भारत ने जून महीने में 15.62 अरब डॉलर का अधिशेष दर्ज किया।
सेवाओं का निर्यात 32.84 अरब डॉलर और आयात 17.58 अरब डॉलर रहा।
इसके कारण कुल व्यापार घाटा जून में केवल 3.51 अरब डॉलर पर सिमट गया।
इससे भारत की वैश्विक व्यापार स्थिति में संतुलन बना रहा।
वैश्विक अस्थिरता के बीच सरकार की रणनीति
वाणिज्य सचिव सुनील बार्थवाल ने बताया कि वैश्विक संघर्षों और आर्थिक अनिश्चितताओं का भारतीय निर्यात पर असर पड़ रहा है।
हालांकि, सरकार निर्यातकों के साथ मिलकर शिपिंग और बीमा संबंधी मुद्दों को हल करने में जुटी है।
इसी बीच, भारत अमेरिका सहित कई देशों के साथ व्यापार समझौते की बातचीत कर रहा है।
अमेरिका की ओर से कृषि और डेयरी उत्पादों को बाजार पहुंच देने की मांग बनी हुई है, जबकि भारत कपड़ा, चमड़ा और जूता जैसे श्रम-प्रधान उत्पादों पर शुल्क में छूट चाहता है।
हाई-टेक उत्पादों का निर्यात तेज़ी पर
नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने FY25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर–दिसंबर 2024) में 3% की वार्षिक वृद्धि के साथ 108.7 अरब डॉलर का निर्यात किया।
खास बात यह रही कि एयरक्राफ्ट, स्पेसक्राफ्ट और उनके पुर्जों का निर्यात 200% से अधिक बढ़ा, जिससे वे शीर्ष 10 निर्यात श्रेणियों में शामिल हो गए।
इनकी मांग खासकर सऊदी अरब, यूएई और चेक गणराज्य से आई।
इसके अलावा, हाई-टेक वस्तुओं जैसे इलेक्ट्रिकल मशीनरी और हथियारों के निर्यात में भी निरंतर वृद्धि दर्ज हुई है।
2014 से यह क्षेत्र 10.6% की वार्षिक वृद्धि दर से आगे बढ़ रहा है।
निष्कर्षतः
भारत व्यापार घाटा जून 2025 में घटकर 18.78 अरब डॉलर हो गया है, जो वैश्विक अस्थिरता के बीच सकारात्मक संकेत है।
सेवाओं में अधिशेष और रणनीतिक निर्यात वृद्धि भारत के समग्र व्यापार प्रदर्शन को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
आने वाले समय में ट्रेड डील्स और शुल्क छूटों से यह स्थिति और बेहतर हो सकती है।