भारत अमेरिका व्यापार समझौता
भारत अमेरिका व्यापार समझौता

रायपुर / ETrendingIndia / भारत अमेरिका व्यापार समझौता , ट्रंप का दावा – भारत भी अमेरिका जैसे समझौते की दिशा में

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत एक ऐसा व्यापार समझौता तैयार कर रहा है, जो हाल ही में अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच हुआ था।
इस समझौते के तहत अमेरिका के सामान इंडोनेशिया में टैरिफ फ्री प्रवेश पा रहे हैं, जबकि इंडोनेशिया के उत्पादों पर 19 प्रतिशत शुल्क लगाया जा रहा है।

ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “भारत उसी दिशा में काम कर रहा है, जिससे अमेरिका को भारत के बाजार तक अधिक पहुंच मिल सके।”


समझौते की शर्तें और संभावित चुनौतियां

हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भारत अमेरिका जैसी ही शर्तों को स्वीकार करेगा या नहीं।
नई दिल्ली के लिए कुछ शर्तें मानना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इससे घरेलू उद्योगों पर असर पड़ सकता है।

ट्रंप ने 1 अगस्त तक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की समयसीमा तय की है।
यदि उस समय तक कोई समझौता नहीं होता, तो अमेरिका भारत पर 35% तक का टैरिफ लगा सकता है।


रूस-यूक्रेन युद्ध और ऊर्जा नीति से जुड़ी चेतावनी

ट्रंप ने पहले ही यह चेतावनी दी थी कि जो देश रूस से ऊर्जा खरीदते रहेंगे, उनमें भारत भी शामिल है, वे 100% टैरिफ का सामना कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय तब तक लागू रहेगा जब तक रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर व्लादिमीर पुतिन कोई शांति समझौता नहीं करते।

इस रणनीति का मकसद रूस की आर्थिक आय को रोकना और देशों पर दबाव बनाना है कि वे युद्ध समाप्त करवाने में सहयोग करें।


अमेरिकी सीनेटर और विधेयक पर ट्रंप की प्रतिक्रिया

इस बीच, अमेरिकी रिपब्लिकन सीनेटर जॉन थ्यून ने एक ऐसा विधेयक रोक दिया है, जिसमें रूसी ऊर्जा आयात पर 500% शुल्क लगाने की मांग थी।
ट्रंप ने संकेत दिया कि ऐसा कानून आवश्यक नहीं है क्योंकि वे कार्यकारी आदेश के जरिए यह कदम खुद उठा सकते हैं।


संसाधनों की दौड़ और रणनीतिक दबाव

ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका कॉपर और रेयर अर्थ मिनरल्स जैसे आवश्यक संसाधनों के लिए कई देशों तक बाजार पहुंच बना रहा है।
इंडोनेशिया जैसे देश टफ टैरिफ नीतियों के बाद अब व्यापार के लिए खुल रहे हैं, जिससे अमेरिका को रणनीतिक लाभ मिल रहा है।


निष्कर्षतः

अंत में, ट्रंप के बयान ने यह संकेत दिया है कि भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में बदलाव की संभावना है।
अगर भारत समय रहते समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करता, तो उच्च टैरिफ नीति का सामना करना पड़ सकता है।

यह खबर भारत के वैश्विक व्यापार नीति और कूटनीतिक रणनीति पर गहरा असर डाल सकती है।