कोयला क्षेत्र सरकारी रणनीति
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रायपुर / ETrendingIndia / कोयला क्षेत्र सरकारी रणनीति , कोयला क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी और पर्यावरण अनुकूल बनाने की सरकार की पहल

कोयला क्षेत्र सरकारी रणनीति अब भारत में ऊर्जा स्थिरता और पर्यावरणीय संतुलन के लिए एक प्रमुख दिशा बन रही है। केंद्र सरकार ने कोयला क्षेत्र को टिकाऊ और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। इस पहल का उद्देश्य न केवल घरेलू उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि कोयला आयात पर निर्भरता भी घटाना है।


हरित और ऊर्जा दक्षता की दिशा में कदम

सरकारी कोयला कंपनियाँ खनन स्थलों के आसपास वृक्षारोपण और पुनःस्थापन कार्य को तेज़ी से बढ़ा रही हैं।

  • पारंपरिक लाइटिंग को LED से बदला जा रहा है।
  • ऊर्जा दक्ष उपकरण, इलेक्ट्रिक वाहन और ऑटो टायमर युक्त स्ट्रीट लाइटिंग भी अपनाई जा रही है।

कोयला क्षेत्र सरकारी रणनीति के तहत खदान के पानी को पुनः उपयोग किया जा रहा है — जैसे कि सिंचाई, अग्निशमन, मछली पालन और सामुदायिक आपूर्ति में।


ओवरबर्डन (OB) का नवाचारपूर्ण उपयोग

खनन से निकली अतिरिक्त मिट्टी और पत्थरों (OB) से अब निर्माण योग्य रेत बनाई जा रही है।

  • इसके लिए 9 संयंत्र लगाए गए हैं — 4 OB प्रोसेसिंग और 5 M-Sand संयंत्र।
  • इससे नदियों से रेत की खुदाई में कमी और भूजल स्तर में सुधार हो रहा है।

स्वच्छ तकनीकों और परिवहन ढांचे में सुधार

First Mile Connectivity (FMC) प्रोजेक्ट के ज़रिए कोयले के परिवहन में डीजल पर निर्भरता घटाई जा रही है।

  • स्वचालित कोयला हैंडलिंग प्रणालियों से प्रदूषण भी घट रहा है।
  • खनन में Surface Miners और Rippers जैसी ब्लास्ट-फ्री तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।

साथ ही, कंपनियाँ अब कोयला गैसीकरण, कोल बेड मीथेन (CBM) और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश कर रही हैं। ये कदम कोयला क्षेत्र सरकारी रणनीति को हरित दिशा में आगे बढ़ाते हैं।


आयात में कमी और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा

2023–24 में 264.5 मिलियन टन से घटकर 2024–25 में 243.6 मिलियन टन पर कोयला आयात आ गया है।

  • सरकार तेजी से कोयला ब्लॉकों का आवंटन कर रही है।
  • निजी भागीदारी को बढ़ावा मिल रहा है।
  • डिजिटल और आधुनिक खनन तकनीक अपनाई जा रही है।

इंटर-मिनिस्टरियल कमेटी (IMC) घरेलू आपूर्ति से आयात-आधारित संयंत्रों की मांग पूरी करने पर काम कर रही है। कोल इंडिया की विभिन्न इकाइयों से संयंत्रों ने पहले ही आपूर्ति हेतु रुचि जताई है।


निष्कर्षतः

कोयला क्षेत्र सरकारी रणनीति केवल उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा दक्षता और आत्मनिर्भरता जैसे लक्ष्यों को भी साथ लेकर चल रही है। इससे भारत का कोयला क्षेत्र न सिर्फ वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेगा, बल्कि हरित भविष्य की ओर भी मजबूती से कदम बढ़ाएगा।