छत्तीसगढ़ वन विभाग कार्य
छत्तीसगढ़ वन विभाग कार्य

रायपुर / ETrendingIndia / 2 crore 17 lakh saplings planted by the forest department during the rainy season, emphasis on connecting women with self-employment in eco-tourism, Barnawapara sanctuary area will also be expanded / छत्तीसगढ़ वन विभाग कार्य , छत्तीसगढ़ में वन विभाग और वन विकास निगम द्वारा वर्षा ऋतु-2025 में ‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’ के तहत 2 करोड़ 17 लाख पौधे रोपित किए गए हैं।

छत्तीसगढ़ वन विभाग कार्य , वन विकास निगम द्वारा 4 माइक्रो फारेस्ट (मियावाकी) स्थलों पर 26 हजार पौधों का रोपण किया गया है। इसके अलावा 10.34 हेक्टेयर भूमि में 5 माइक्रो फारेस्ट (मियावाकी वन) की स्थापना प्रस्तावित है।

वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप ने विभागीय काम-काज की समीक्षा की। उन्होंने शहरी क्षेत्रों में भी माइक्रो फारेस्ट (मियावाकी) की स्थापना करने के निर्देश दिए।

उन्होंने वन विकास निगम के माध्यम से बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र को बढ़ाने के निर्देश दिए।

उन्होंने माइनिंग सहित शहरी क्षेत्रों में प्रमुखता से वृक्षारोपण किया करने को कहा तथा टेक्निकल सपोर्ट के लिए नोडल अधिकारी बनाने के निर्देश दिए।

बैठक में वनोपज खरीदी दर और बोनस की राशि का भुगतान के साथ ही देवगुड़ियों के संरक्षण, लेमरू हाथी रिजर्व से जुड़े मुद्दे, प्रोजेक्ट बघवा, किसान वृक्ष मित्र योजना और मानव पशु द्वंद से हुई जनहानि की भी समीक्षा की गई।

बैठक में अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में ई-ऑक्शन के माध्यम से वनोपज एवं काष्ठों की नीलामी की जा रही है।

अपर मुख्य सचिव वन श्रीमती ऋचा शर्मा ने ई-ऑक्शन को राज्य में मिल रहे अच्छे रिजल्ट की सराहना की।

बैठक में मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि वर्ष 2024-25 में 25 ईको टूरिज्म केन्द्रों से 2 करोड़ 62 लाख रूपए से अधिक की आय हुई है।

मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि ईको टूरिज्म से प्राप्त होने वाली आय का उपयोग महिलाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार उपलब्ध करना सुनिश्चित करें। सभी ईको टूरिज्म केन्द्रों में बेहतर सुविधाओं का विस्तार करें।

छत्तीसगढ़ में बनेंगे 7 नए ईको टूरिज्म केन्द्र

अधिकारियों ने बताया कि 7 नवीन ईको टूरिज्म केन्द्रों की स्थापना प्रस्तावित है, जिसका इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।

बैठक में अधिकारियों ने मंत्री श्री कश्यप को कैंपा मद से संचालित कार्यों की अद्यतन स्थिति और वन अधिकार पत्रधारी के नामांतरण और बटवारे की जानकारी से भी अवगत कराया।

मंत्री श्री कश्यप ने वन्यप्राणी संरक्षण, बाघ संरक्षण, अचानकमार्ग टायगर रिजर्व के ग्रामों के विस्थापन के प्रगति की समीक्षा की।

लेमरू हाथी रिजर्व का विकास, तमोर पिंगला, सेमरसोत और बादखोल अभ्यारण्य में वन्यप्राणी संरक्षण और वन्य प्राणी से होने वाले जनहानि, फसल क्षति की भी विस्तृत समीक्षा की।

वन मंत्री श्री कश्यप ने राजस्व में वृद्धि लाने के लिए सीमावर्ती राज्यों जैसे – महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्यप्रदेश राज्यों की प्रक्रिया का अध्ययन व आंकलन कर कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए।

अधिकारियों ने बताया कि वन प्रबंधन समिति के खाते में मार्च 2025 की स्थिति में 133 करोड़ 27 लाख रूपए से अधिक की लाभांश राशि उपलब्ध है। चक्रीय निधि में उपलब्ध राशि 116 करोड़ 65 लाख रूपए से अधिक की राशि है, जिसका उपयोग मछलीपालन, कोसा पालन, मधुमक्खी पालन, बतख पालन, मशरूम उत्पादन, महुआ लड्डू, लेमन ग्रास, दोना-पत्तल निर्माण, इमली प्रसंस्करण, डेयरी विकास, किराना दुकान, केन्टीन संचालन, ईको टूरिज्म संचालन हेतु वाहन क्रय आदि कार्यों के लिए 4 प्रतिशत वाार्षिक ब्याज पर ऋण प्रदान किया जाता है।

श्री कश्यप ने कहा कि वन विभाग के खाताधारी हितग्राहियों को सीधे उनके खाते में ई-कुबेर के माध्यम से भुगतान करना सुनिश्चित करें।

वन अधिकारियों ने बताया कि हितग्राहियों को वर्ष 2024-25 में ई-कुबेर के माध्यम से 1400 करोड़ रूपए का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में किया गया है और वर्ष 2025-26 में 300 करोड़ रूपए का भुगतान हितग्राहियों को ई-कुबेर के माध्यम से किया गया है।