रायपुर 22 अगस्त 2025/ ETrendingIndia / Exploration of Indian Ocean: Indian Ocean has precious metals like copper, nickel and cobalt, zinc, lead, iron, silver and gold / हिंद महासागर खनिज अन्वेषण , गहरे समुद्र में खनिज अन्वेषण करने वाली नोडल एजेंसी होने के नाते, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के पास हिंद महासागर में अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (आईएसए) के साथ दो समुद्र तल खनिज अन्वेषण अनुबंध हैं।
पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स (पीएमएन) के लिए पहला समुद्र तल अन्वेषण अनुबंध 2002 में मध्य हिंद महासागर बेसिन में 75,000 वर्ग किलोमीटर के आवंटित क्षेत्र में अन्वेषण के लिए हस्ताक्षरित किया गया है.
दूसरा अनुबंध वर्ष 2016 में दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर रिज में 10,000 वर्ग किलोमीटर के आवंटित क्षेत्र में पॉलीमेटेलिक सल्फाइड (पीएमएस) के अन्वेषण के लिए हस्ताक्षरित किया गया।
पीएमएन में तांबा, निकल और कोबाल्ट जैसी बहुमूल्य धातुएं होती हैं जबकि पीएमएस में तांबा, जस्ता, सीसा, लोहा, चांदी और सोना जैसी बहुमूल्य धातुएं होती हैं।
मंत्रालय ने आईएसए द्वारा आवंटित 75,000 वर्ग किलोमीटर के अनुबंध क्षेत्र में पीएमएन खनिज संसाधन आकलन हेतु सर्वेक्षण किया है।
सर्वेक्षण एवं अन्वेषण के आधार पर, मंत्रालय ने अनुबंध क्षेत्र में 366 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) नोड्यूल्स की उपस्थिति का अनुमान लगाया है।
हमारे अनुबंध क्षेत्र में नोड्यूल्स में तांबा 1.09%, निकल 1.14% और कोबाल्ट 0.14% है।
समुद्र तल खनिज अन्वेषण गतिविधियां आईएसए की कार्य योजना के अनुसार संचालित की जाती हैं.
वर्तमान में, आईएसए द्वारा विनियमित समुद्र तल खनिज गतिविधियां केवल अन्वेषण चरण तक ही सीमित हैं।
गहरे समुद्र में खनन की अभी अनुमति नहीं है, क्योंकि समुद्र तल के खनिज संसाधनों के दोहन के नियमों को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है और आईएसए द्वारा अपनाया नहीं गया है।
यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्य सभा में एक मौखिक उत्तर में दी।