एआई आधारित मौसम पूर्वानुमान
एआई आधारित मौसम पूर्वानुमान

रायपुर 13 सितंबर 2025 / ETrendingIndia / Government’s first AI-based weather forecasting program in agriculture sector: ‘M-Kisan’ provides monsoon forecast to 3.8 crore farmers / एआई आधारित मौसम पूर्वानुमान , देश के करोड़ों किसानों की आय और आजीविका का मुख्य स्रोत खेती है लेकिन इसके लिए किसान वर्षा पर निर्भर हैं। मानसून के बारे में यदि किसानों को पहले से ही मौसम संबंधी पूर्व जानकारी मिल जाए तो उन्हें यह निर्णय लेने में काफी मदद मिल सकती है कि कौन सी फसल, कितनी मात्रा में और कब बोनी है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI ) द्वारा संचालित मौसम पूर्वानुमान में क्रांति के कारण अब यह संभव हो सका है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (एमओएएफडब्ल्यू) किसानों के लिए AI की शक्ति का उपयोग कर रहा है।

एक अनूठी पहल के तहत मंत्रालय ने इस वर्ष 13 राज्यों के लगभग 3.8 करोड़ किसानों को एसएमएस (एम-किसान) के माध्यम से एआई-आधारित मानसून पूर्वानुमान भेजे ।

यह पूर्वानुमान बारिश से चार सप्ताह पहले तक कहीं उपलब्ध थे। इससे किसानों को खरीफ फसल संबंधी निर्णय लेने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण मिला। एआई मौसम पूर्वानुमान लागू करने में विश्व-अग्रणी के रूप में स्थापित किया है।

अपर सचिव डॉ. प्रमोद कुमार मेहरदा और संयुक्त सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने कृषि भवन में आयोजित एक समीक्षा बैठक में, नोबेल पुरस्कार विजेता और शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल क्रेमर के साथ मंत्रालय की इस अभूतपूर्व पहल और कार्यक्रम के विस्तार पर चर्चा की।

डॉ. मेहरदा ने कहा, ” एआई- आधारित मौसम पूर्वानुमान से किसानों को अधिक आत्मविश्वास के साथ कृषि गतिविधियों की योजना बनाने और जोखिमों का प्रबंधन करने में मदद मिलती है। “

इस वर्ष, मानसून समय से पहले आ गया था, लेकिन उत्तर की ओर बढ़ने में रुकावट आने से 20 दिनों तक बारिश रुकी रही। मंत्रालय ने एआई आधारित पूर्वानुमानों से मानसून की इस रुकावट की सटीक पहचान की।

“जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में परिवर्तनशीलता बढ़ रही है, इसलिए यह एक उपयोगी साधन हैं।”

वर्ष 2022 से, कृत्रिम बुद्धिमत्ता से प्रेरित क्रांति ने मौसम पूर्वानुमान के विज्ञान को पूरी तरह बदल दिया है.

कड़े विश्लेषणों में, ये मॉडल किसानों के लिए स्थानीय स्तर पर मानसून की शुरुआत की भविष्यवाणी करने में अन्य उपलब्ध पूर्वानुमानों से स्पष्ट रूप से बेहतर साबित हुए।

नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा कि “यह पहल बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह किसानों की ज़रूरतों पर केंद्रित है ।”

नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल क्रेमर ने कहा, “यह कृषि मंत्रालय की एक बड़ी उपलब्धि है, जिससे लाखों किसानों को लाभ होगा और भारत किसानों की जरूरतों को पूरा करने में अग्रणी स्थान पर रहेगा।”