रायपुर / ETrendingIndia / H-1B वीज़ा फीस पर विवाद
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीज़ा पर 100000 फीस लगाने की घोषणा ने टेक उद्योग में हड़कंप मचा दिया है। यह फीस पहले से मौजूद $2000–$5000 शुल्क की तुलना में कई गुना अधिक है। यह नियम 21 सितंबर से लागू होगा।
माइकल मोरिट्ज़ की आलोचना
सिलिकॉन वैली के जाने-माने निवेशक माइकल मोरिट्ज़ ने कहा कि यह नीति अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र को नुकसान पहुंचाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि इस कदम से कंपनियाँ विदेशी प्रतिभाओं को अमेरिका लाने की बजाय काम विदेशों में शिफ्ट कर सकती हैं।
भारतीयों पर बड़ा असर
H-1B वीज़ा धारकों में 71% भारतीय होते हैं। ऐसे में H-1B वीज़ा 100000 फीस का सबसे बड़ा प्रभाव भारतीय इंजीनियरों और टेक प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा। भारत सरकार ने भी इस फैसले को मानवतावादी संकट और पारिवारिक परेशानियों का कारण बताया है।
नवाचार विदेशों की ओर जाएगा
मोरिट्ज़ का कहना है कि इस नीति से अमेरिका अगली पीढ़ी के उद्यमियों से वंचित रह जाएगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई H-1B वीज़ा से ही अमेरिका आए थे।
टेक कंपनियों की चिंता
अमेज़न, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों ने कर्मचारियों को तुरंत अमेरिका लौटने की सलाह दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिकी स्टार्टअप्स और नवाचार को गहरी चोट पहुँचा सकता है।