रायपुर, 29 सितंबर 2025/ ETrendingIndia / From 90 decimals to 7 acres: Danvati Armo becomes ‘Lakhpati Didi’, providing employment to a large number of women through various means / दानवती आर्मो लखपति दीदी , छत्तीसगढ़ के पेंड्रा – गौरेला- मरवाही जिले के पेंड्रा विकासखंड के देवरीखुर्द गांव की मिट्टी से उगकर निकली एक प्रेरणादायक कहानी आज पूरे जिले के लिए मिसाल बन चुकी है।

दानवती आर्मो लखपति दीदी , यह कहानी है दानवती आर्मो की, जो कभी केवल 90 डिसमिल जमीन पर सब्जी उगाया करती थीं, लेकिन आज वे 7 एकड़ जमीन में आधुनिक पद्धति से सब्जी उत्पादन कर रही हैं और महिलाओं को रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं।

दानवती आर्मो तुलसी महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष हैं और अपने काम से यह साबित कर चुकी हैं कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी महिला किसी भी क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकती है।

दानवती ने खेती को पारंपरिक तरीके से आधुनिकता की ओर मोड़ा और ड्रिप सिंचाई प्रणाली से पानी की बचत करते हुए फसल को जरूरत के अनुसार सिंचाई दे रही हैं। 

मल्चिंग तकनीक के उपयोग से खरपतवार पर नियंत्रण पा रही हैं और उत्पादन बढ़ा रही हैं।

लौकी और तोरई की खेती के अलावा बकरी पालन और मछली पालन जैसे कार्यों से आय के और भी स्रोत तैयार कर चुकी हैं।

बिहान योजना से जुड़ने के बाद दानवती को न केवल तकनीकी ज्ञान मिला, बल्कि बैंक से ऋण लेना, विपणन करना और कृषि योजना बनाना जैसे महत्वपूर्ण कौशल भी प्राप्त हुए।

इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और आज वे न सिर्फ अपने परिवार का सहारा बनीं, बल्कि गांव की कई अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी हैं।

महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

दानवती के साथ काम करने वाली महिलाएं कहती हैं “आज हम भी अपने पैरों पर खड़ी हैं।

दानवती दीदी के साथ जुड़कर हमने न सिर्फ काम सीखा, बल्कि जीने का नजरिया भी बदला है।”

महतारी वंदन योजना और बिहान जैसी योजनाओं ने उन्हें आर्थिक मजबूती दी।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही योजनाओं की उन्होंने सराहना करते हुए कहा “अब गांव की महिलाएं भी ‘लखपति दीदी’ बन पा रही हैं। सरकार की योजनाएं हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं।”

दानवती आर्मो की यह यात्रा बताती है कि संसाधनों की कमी बाधा नहीं होती, अगर प्रयास सच्चे हों। गांव की एक साधारण महिला से सफल उद्यमी बन सकती है।