रायपुर / ETrendingIndia / स्विस ग्लेशियरों का पिघलना , तेज गर्मी और कम बर्फबारी का असर
स्विस ग्लेशियरों का पिघलना अब और तेज हो गया है। स्विट्जरलैंड की मॉनिटरिंग संस्था GLAMOS और Cryosphere Observation Commission की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 12 महीनों में ग्लेशियरों का बर्फ भंडार 3% तक घट गया। यह अब तक दर्ज चौथा सबसे बड़ा नुकसान है।
ऐतिहासिक गिरावट
हालांकि 2022 और 2023 की तुलना में यह आंकड़ा कम है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि स्थिति बेहद गंभीर है। 2015 से अब तक स्विट्जरलैंड ने अपने ग्लेशियर वॉल्यूम का लगभग 25% हिस्सा खो दिया है।
गायब हो रहे ग्लेशियर
रिपोर्ट बताती है कि 2016 से 2022 के बीच स्विट्जरलैंड में करीब 100 ग्लेशियर पूरी तरह गायब हो गए। अगर जलवायु परिवर्तन की रफ्तार यही रही, तो सदी के अंत तक ज्यादातर ग्लेशियर खत्म हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों की चेतावनी
GLAMOS के निदेशक मैथियास हुस ने कहा कि ग्लेशियरों का यह पिघलना “बहुत ज्यादा” है। उन्होंने चेतावनी दी कि ग्लेशियर सिकुड़ने से पहाड़ों की स्थिरता पर भी असर पड़ता है, जिससे चट्टानों और बर्फ के भूस्खलन जैसी विनाशकारी घटनाएं हो सकती हैं।
भविष्य की संभावना
हुस का कहना है कि अगर आने वाले 30 वर्षों में दुनिया भर में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन शून्य पर लाया गया तो ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौजूद लगभग 200 स्विस ग्लेशियर बचाए जा सकते हैं। लेकिन फिलहाल यह संकट लगातार गहराता जा रहा है।