रायपुर / ETrendingIndia / ट्रंप के ऐलान से बढ़ी वैश्विक चिंता
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करने की घोषणा कर दुनिया को चौंका दिया।
उन्होंने कहा कि रूस और चीन जैसे देश लगातार परीक्षण कर रहे हैं, इसलिए अमेरिका को भी ऐसा करना चाहिए।
लेकिन, विशेषज्ञों के अनुसार यह दावा पूरी तरह गलत है क्योंकि 1996 के बाद चीन ने कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया।
इस कारण, ट्रंप का यह बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंता का कारण बन गया है।
विशेषज्ञों ने जताई हथियार दौड़ की आशंका
परमाणु विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका परमाणु परीक्षण विवाद से वैश्विक हथियार संतुलन बिगड़ सकता है।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के मैथ्यू बन्न ने कहा कि ट्रंप के दावे गलत और भ्रमित करने वाले हैं।
वहीं, आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के निदेशक डैरिल किम्बल ने चेतावनी दी कि इस निर्णय से रूस, चीन और अन्य देश भी अपने परीक्षण शुरू कर सकते हैं।
इससे एक नई हथियार दौड़ की शुरुआत हो सकती है।
रूस और चीन ने किया खंडन
रूस ने स्पष्ट किया कि उसके हाल के परीक्षण ‘न्यूक्लियर कैपेबल’ हथियारों के हैं, न कि वास्तविक परमाणु विस्फोट के।
वहीं, चीन ने भी कहा कि वह परमाणु परीक्षण पर रोक की अपनी प्रतिबद्धता निभा रहा है।
बीजिंग ने अमेरिका से अपील की कि वह भी परमाणु परीक्षण से जुड़े अंतरराष्ट्रीय समझौतों का पालन करे।
इसके बावजूद, ट्रंप प्रशासन इस मुद्दे पर अपने रुख पर कायम दिखाई देता है।
क्या लौट आएगा शीत युद्ध का दौर?
परमाणु विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करता है, तो इससे वैश्विक अस्थिरता बढ़ेगी।
कई विश्लेषकों ने इसे शीत युद्ध जैसे हालात की वापसी बताया है।
कुल मिलाकर, ट्रंप का यह कदम न केवल अमेरिका परमाणु परीक्षण विवाद को जन्म दे रहा है, बल्कि विश्व शांति के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है।
