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ETrendigIndia रायपुर 20 मार्च 2025/ बस्तर पंडुम का जिला स्तरीय कार्यक्रम 22 एवं 23 मार्च को इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम जगदलपुर में आयोजित किया जाएगा।

बस्तर पंडुम के माध्यम से बस्तर क्षेत्र के पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प और आदिवासी रीति-रिवाजों को मंच प्रदान किया जा रहा है, जिससे स्थानीय संस्कृति को नई पहचान मिल रही है। इस उत्सव में विभिन्न जनजातीय समूह अपनी कला और परंपराओं का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे न केवल सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ेगी बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

इसके तहत बस्तर जिले के जगदलपुर, बस्तर, तोकापाल, बास्तानार एवं दरभा विकासखण्ड में गुरुवार को ब्लॉक स्तरीय बस्तर पंडुम का आयोजन किया गया। इसमें स्थानीय लोक कलाकारों, जनजातीय समुदायों और संस्कृति प्रेमियों का उत्साह देखते ही बना। इनमें बस्तर पंडुम के तहत हजारों प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़ कर उत्साहपूर्वक भाग लिया। जिला स्तरीय कार्यक्रम में ब्लॉक स्तर से चयनित प्रतिभागी शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि बस्तर पंडुम 2025 के अन्तर्गत अनेक विधाएं शामिल की गई जिसमें जनजातीय नृत्यों के तहत गेड़ी, गौर-माड़िया, ककसाड़, मांदरी,  हुलकीपाटा, परब सहित लोक गीत श्रृंखला के तहत जनजातीय गीत- चैतपरब, लेजा, जगारगीत, धनकुल,  हुलकी पाटा (रीति-रिवाज, तीज त्यौहार, विवाह पद्धति एवं नामकरण संस्कार आदि)  जनजातीय नाट्य श्रेणी में भतरा नाट्य जिन्हें लय एवं ताल, संगीत कला, वाद्य यंत्र, वेषभूषा, मौलिकता, लोकधुन, वाद्ययंत्र, पारंपरिकता, अभिनय, विषय-वस्तु, पटकथा, संवाद, कथानक के मानकों के आधार पर  मूल्यांकन किया गया।

इसके अलावा जनजातीय वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन के तहत धनकुल, ढोल, चिटकुल, तोड़ी, अकुम, झाब, मांदर, मृदंग, बिरिया ढोल, सारंगी, गुदुम, मोहरी, सुलुङ, मुंडाबाजा, चिकारा शामिल रहे। जिन्हें संयोजन, पारंगता, प्रकार, प्राचीनता के आधार पर अंक दिए गए।

जनजातीय वेशभूषा एवं आभूषण प्रदर्शन विधा में लुरकी, करधन, सुतिया, पैरी, बाहूंटा, बिछिया. ऐंठी, बन्धा, फुली, धमेल, नांगमोरी, खोचनी, मुंदरी, सुर्रा, सुता, पटा, पुतरी, नकबेसर जैसे आभूषण में एकरूपता, श्रृंगार, पौराणिकता को महत्व दिया गया।

जनजातीय शिल्प एवं चित्रकला का प्रदर्शन विधा के अंतर्गत घड़वा, माटी कला, काष्ठ, ढोकरा, लौह प्रस्तर, गोदना, भित्तीचित्र, शीशल, कौड़ी शिल्प, बांस की कंघी, गीकी (चटाई), घास के दानों की माला प्रदर्शन प्रस्तुतियां हुई।

इसी तरह जनजातीय पेय पदार्थ एवं व्यंजन का प्रदर्शन- सल्फी, ताड़ी, छिंदरस, लांदा, पेज, कोसरा एवं मड़िया पेज, चापड़ा चटनी, सुक्सी पुड़गा,मछरी पुड़गा,मछरी झोर, आमट साग, तिखुर इत्यादि के बनाने की विधि, स्थानीय मसाले, स्वाद, प्रकार का प्रस्तुतिकरण बस्तर पंडुम 2025 के मुख्य आकर्षण रहे।

बस्तर के समाज प्रमुखों में बस्तर पंडुम के प्रति खासा उत्साह एवं अलग ही लगाव देखने को मिला। समाज प्रमुखों ने बस्तर पंडुम आयोजन को सराहनीय पहल निरूपित करते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञता प्रकट किया। 

इस मौके पर पूर्व विधायक एवं सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष श्री राजाराम तोड़ेम ने बस्तर पंडुम को राज्य सरकार की जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक विविधता को देश-दुनिया में पहुंचाने की अनुपम प्रयास रेखांकित किया।

वहीं सर्व आदिवासी समाज के बस्तर जिला अध्यक्ष श्री दशरथ कश्यप ने बस्तर पंडुम को जनजातीय संस्कृति को संरक्षित एवं संवर्धित करने की दिशा में उल्लेखनीय पहल निरूपित करते हुए इसे हर साल आयोजित करने का सुझाव दिया।

सर्व आदिवासी समाज के महिला प्रकोष्ठ की जिला अध्यक्ष चमेली जिराम ने बस्तर पंडुम को जनजातीय समुदाय के भावी पीढ़ी के लिए समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सीखने-समझने का बेहतर मंच बताया।