भारत को शेर बनना
भारत को शेर बनना

रायपुर / ETrendingIndia /”India needs to become a lion, not a golden bird” – Mohan Bhagwat / “भारत को अब ‘सोने की चिड़िया’ नहीं, बल्कि ‘शेर’ बनना होगा” — क्योंकि दुनिया ताकत को सम्मान देती है ।

यह वाक्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने  27 जुलाई 2025 को केरल के कोच्चि में एक राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में कहा।

भारत को अब ऐसा देश बनना है जो न केवल समृद्ध हो, बल्कि अपनी संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम भी हो।

इसी भाषण में उन्होंने यह भी कहा कि भारत का नाम अनुवाद न करके ‘भारत’ ही कहा जाना चाहिए, क्योंकि यह हमारी पहचान का प्रतीक है ।

उनका कहना था कि अतीत की समृद्धि याद रखने के साथ-साथ वर्तमान में आत्मनिर्भरता, सामर्थ्य, और देश की पहचान को भी मजबूत करना आवश्यक है।

‘सोने की चिड़िया’ एक ऐतिहासिक उपमा है, जो प्राचीन भारत की अपार संपदा, समृद्धि और सांस्कृतिक वैभव को दर्शाती है।

लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि इसी संपदा के कारण भारत पर सदियों तक विदेशी आक्रमण हुए, और देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ गया।

आज के संदर्भ में यह कहावत यह संदेश देती है कि केवल समृद्ध और आकर्षक बनना पर्याप्त नहीं है — अब भारत को ‘शेर’ बनना होगा: ताकतवर,आत्मनिर्भर,साहसी,
और रणनीतिक रूप से सतर्क।

शेर की तरह नेतृत्व करने का अर्थ है राष्ट्र की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, विज्ञान, तकनीक, रक्षा और वैश्विक राजनीति में सक्रिय और प्रभावी भूमिका निभाना।