रायपुर / ETrendingIndia / भारत मालदीव आर्थिक सहयोग , प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा का ऐतिहासिक महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह तीसरी मालदीव यात्रा है।
यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है जो मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के कार्यकाल में हुई।
इस यात्रा से भारत मालदीव आर्थिक सहयोग के नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है।


व्यापार और निवेश में तेजी

भारत और मालदीव के बीच व्यापारिक संबंध 1981 से शुरू हुए थे।
2021 में द्विपक्षीय व्यापार 300 मिलियन डॉलर से ऊपर गया और 2023 में यह बढ़कर 548 मिलियन डॉलर हो गया।
सितंबर 2020 में शुरू हुई कार्गो सेवा और 2021 से दी जा रही लाइनों ऑफ क्रेडिट ने इस वृद्धि में मदद की।

इसके अलावा, अप्रैल 2025 में भारत ने मालदीव को आवश्यक वस्तुओं के निर्यात के लिए अब तक का सबसे बड़ा कोटा स्वीकृत किया।
भारत मालदीव आर्थिक सहयोग के तहत फ्री वीजा और ट्यूना मछली के शुल्कमुक्त निर्यात जैसे कदम भी महत्वपूर्ण रहे हैं।


वित्तीय भागीदारी और समर्थन

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) 1974 से मालदीव में कार्यरत है और कई बड़े निवेशों में सहयोग दे रहा है।
नवंबर 2022 में भारत ने 100 मिलियन डॉलर का आर्थिक पैकेज दिया, जिसे 2024 में बिना ब्याज के बढ़ा दिया गया।
इसके अलावा, अक्टूबर 2024 में 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा विनिमय सुविधा भी प्रदान की गई।

यह सहयोग भारत मालदीव आर्थिक सहयोग के वित्तीय स्तंभ को और मजबूत करता है।


डिजिटल इंडिया की पहुंच मालदीव तक

अगस्त 2024 में भारत और मालदीव ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को लागू करने के लिए एक समझौता किया।
इससे दोनों देशों के बीच डिजिटल लेन-देन आसान होंगे।
मालदीव के वित्त मंत्री मूसा ज़मीर ने दिसंबर 2024 में भारत आकर निवेश संभावनाओं पर भी चर्चा की।


निष्कर्षतः—साझेदारी के नए युग की शुरुआत

भारत मालदीव सहयोग अब केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहा।
तकनीक, वित्त, और डिजिटल बुनियादी ढांचे में भी दोनों देशों ने अपनी साझेदारी को नए स्तर पर पहुंचाया है।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा इस द्विपक्षीय संबंध को और मजबूती देगी, जिससे दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग को नया बल मिलेगा।