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रायपुर 8 सितंबर 2025 / ETrendingIndia / “Bistirna Parore”: On the occasion of the birth centenary of Dr. Bhupen Hazarika: A musical journey on the waves of the Brahmaputra / भूपेन हजारिका जन्म शताब्दी , भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी के अवसर पर 8 सितंबर से डिब्रूगढ़ के गुइजन में “बिस्तीर्ण परोरे: सदिया से धुबरी तक एक संगीतमय यात्रा” का शुभारंभ करेगा।

डॉ. हजारिका की सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक के नाम पर रखी गई यह अनूठी सांस्कृतिक यात्रा ब्रह्मपुत्र नदी के दायरे को कवर करेगी और संगीत व उत्सव के माध्यम से समुदायों को एक साथ लाएगी।

डिब्रूगढ़ के बोगीबील में आयोजित उद्घाटन समारोह में डॉ. हजारिका की रचनात्मक विरासत का सम्मान करने और युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करने के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।

इनमें एक कला प्रतियोगिता, डॉ. हजारिका के जीवन और कार्यों पर आधारित एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, और मोरन, मोटोक, टी ट्राइब, सोनोवाल कछारी, देउरी और गोरखा समुदायों की परंपराओं को प्रदर्शित करने वाले समूह नृत्य प्रदर्शन शामिल हैं।

इन सभी कार्यक्रम में असम की सांस्कृतिक विविधता की झलक देखने को मिलेगी जिसे भूपेन दा ने अपने संगीत में इतनी जीवंतता से व्यक्त किया है।

इस अवसर के महत्व को और बढ़ाते हुए, भारत के कुछ सबसे प्रमुख संगीत कलाकारों की वीडियो श्रद्धांजलि भी प्रदर्शित की जाएंगी।

श्रद्धांजलि देने वालों में वायलिन वादक सुनीता भुयान खौंड, संगीत निर्देशक ध्रुबज्योति फुकन, अमृत प्रीतम, लोहित गोगोई और सैयद सादुल्ला के साथ-साथ प्रख्यात कलाकार रामेन चौधरी, समर हजारिका और भक्ति गायक अनूप जलोटा भी शामिल हैं।

डॉ. भूपेन हजारिका की जन्मशती एक वर्षगांठ से कहीं बढ़कर है—यह एक ऐसे सांस्कृतिक प्रतीक की सामूहिक स्मृति है जिनकी आवाज़ ब्रह्मपुत्र की आत्मा बन गई।

“सुधाकंठ” (ब्रह्मपुत्र के कवि) के रूप में विख्यात, डॉ. हजारिका ने अपनी सबसे गहरी प्रेरणा इसी विशाल नदी से प्राप्त की।

उनके अमर गीत बिस्तीर्ण परोरे ने न केवल ब्रह्मपुत्र के भौतिक विस्तार को दर्शाया, बल्कि इसके किनारे रहने वाले लोगों के संघर्षों, आकांक्षाओं और एकता को भी प्रतिध्वनित किया।

सदिया से धुबरी तक बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी लंबे समय से असम की जीवन रेखा रही है, जो इसके विविध जातीय, सांस्कृतिक और भाषाई समुदायों को एक सूत्र में पिरोती है।

डॉ. हजारिका ने इस नदी को मानवता के प्रतीक में बदल दिया—इसकी असीमता ,उनके समानता, मित्रता और न्याय के सार्वभौमिक संदेशों का प्रतिबिम्ब है।

उनके संगीत के माध्यम से, नदी का महत्व भूगोल से कहीं अधिक हो गया; यह सांस्कृतिक एकजुटता और वैश्विक सद्भाव का प्रतीक बन गई।

जब भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने इस नदी यात्रा की परिकल्पना की, तो इसका उद्देश्य केवल श्रद्धांजलि देने का नहीं था, बल्कि ब्रह्मपुत्र नदी में डॉ. हजारिका के पदचिन्हों का अनुसरण करना, समुदायों को जोड़ना और उनके संदेश को आगे बढ़ाना है, जैसे नदी बहती रहती है। इस प्रकार, बिस्तीर्ण परोरे एक श्रद्धांजलि और स्मृति की एक जीवंत यात्रा दोनों है।

यह उत्सव असम में चार प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाएगा:

  • बोगीबील, डिब्रूगढ़- 8 सितंबर
  • सिलघाट, तेजपुर – 11 सितंबर
  • पांडु, गुवाहाटी – 15 सितंबर (इस संबंध में नवीनतम जानकारी दी जाएगी)
  • आईडब्ल्यूएआई जेट्टी, जोगीघोपा – 18 सितंबर (इस संबंध में नवीनतम जानकारी दी जाएगी)

डॉ. हजारिका के सैकड़ों प्रशंसकों और लोगों के कल बोगीबील में जुटने की उम्मीद है, जिससे यह ऐतिहासिक सांस्कृतिक यात्रा शताब्दी समारोह की एक यादगार शुरुआत बन जाएगी।

आईडब्ल्यूएआई के निदेशक श्री प्रबीन बोरा ने कहा कि “भूपेन दा की रचनाएं केवल गीत नहीं थीं; वे मानवता, एकता और न्याय की आवाज़ थीं। डॉ. हजारिका पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।