रायपुर / ETrendingIndia / इसरो का चंद्रयान-2 बना वैज्ञानिक सफलता का प्रतीक
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक ऐतिहासिक वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। चंद्रयान-2 सौर प्रभाव चंद्रमा वायुमंडल पर पहली बार हुए प्रभावों का सीधा अवलोकन करने में सफल हुआ है। यह अध्ययन सूर्य से निकलने वाले कोरॉनल मास इजेक्शन (CME) के कारण हुआ, जिसने चंद्रमा के दिन वाले हिस्से के एक्सोस्फीयर में दबाव को कई गुना बढ़ा दिया।
☀️ सौर घटना से चंद्रमा पर बढ़ा दबाव
10 मई 2024 को हुई इस दुर्लभ सौर घटना के दौरान, सूर्य से निकले CME ने चंद्रमा की सतह पर प्रभाव डाला। इससे चंद्रमा के वायुमंडल में न्यूट्रल परमाणुओं और अणुओं की संख्या अचानक बढ़ गई। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह परिवर्तन पहले से बताए गए सिद्धांतों की प्रत्यक्ष पुष्टि करता है।
🌒 चंद्रमा का वायुमंडल सौर प्रभाव के प्रति संवेदनशील
इसरो ने बताया कि चंद्रमा का एक्सोस्फीयर “सतही सीमा वायुमंडल” (Surface Boundary Exosphere) कहलाता है, क्योंकि वहाँ कोई स्थायी चुंबकीय क्षेत्र नहीं है। इसलिए यह चंद्रयान-2 सौर प्रभाव चंद्रमा वायुमंडल पर सीधे असर डालता है। CME जैसी घटनाएँ सतह से परमाणुओं को मुक्त कर देती हैं, जिससे वायुमंडलीय दबाव अस्थायी रूप से बढ़ जाता है।
🧪 भविष्य की चंद्र मिशनों के लिए नई दिशा
इस अध्ययन से चंद्रमा पर होने वाले space weather को समझने में बड़ी मदद मिलेगी। इसरो ने कहा कि यह खोज भविष्य की मानव मिशनों और चंद्र आवासों की डिज़ाइन में अहम भूमिका निभाएगी। वैज्ञानिकों को अब ऐसे चरम सौर प्रभावों को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ बनानी होंगी, क्योंकि ये अस्थायी रूप से चंद्र पर्यावरण को बदल सकते हैं।
📚 वैज्ञानिक शोध पत्र में प्रकाशित निष्कर्ष
यह अध्ययन “Impact of a Coronal Mass Ejection on the Lunar Exosphere as Observed by CHACE-2 on the Chandrayaan-2 Orbiter” शीर्षक से Geophysical Research Letters में 16 अगस्त 2025 को प्रकाशित हुआ। इसरो का कहना है कि यह अवलोकन चंद्रमा के एक्सोस्फीयर और सौर प्रभावों की वैज्ञानिक समझ को और गहरा करेगा।
🪐 निष्कर्ष:
अंत में कहा जा सकता है कि चंद्रयान-2 सौर प्रभाव चंद्रमा वायुमंडल पर किए गए इसरो के अवलोकन से न केवल अंतरिक्ष विज्ञान को नई दिशा मिली है, बल्कि भविष्य के चंद्र अभियानों की सुरक्षा और डिजाइन को भी मजबूत आधार मिला है।
