रायपुर / ETrendingIndia / Chind kansha tokri of jagpur/छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की छिंद कांसा टोकरी एक अनोखी सांस्कृतिक और आर्थिक धरोहर बन गई है। यह टोकरी छिंद पेड़ की पत्तियों और स्थानीय कांसा घास से बनाई जाती है, जो यहां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।
काँसाबेल विकासखंड के कोटानपानी ग्राम पंचायत की लगभग सौ महिलाएं स्व सहायता समूह के माध्यम से इस पारंपरिक हस्तकला में लगी हुई हैं।
छिंद कांसा टोकरी की बढ़ती मांग ने इन महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना दिया है और कई महिलाएं अब लखपति दीदियाँ बन चुकी हैं।
यह हस्तकला वर्षों पुरानी है। इसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प बोर्ड की सहायता से व्यवसायिक रूप दिया गया है।
कांसा टोकरी जशपुर न केवल राज्य में बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय हो चुकी है। इसे पूजा सामग्री, उपहार और घरेलू उपयोग के लिए ख़रीदा जा रहा है।
इसके पीछे की प्रेरणादायक कहानी मन्मति नाम की एक किशोरी से शुरू हुई थी, जिसने यह कला अपनी नानी के गांव में सीखी और वापस आकर गांव की अन्य महिलाओं को भी सिखाई। इसके बाद धीरे-धीरे इसे आजीविका का रूप दिया गया और अब यह एक संगठित उद्योग बन चुका है।
कांसा टोकरी जशपुर की परंपरा, प्रकृति और महिला सशक्तिकरण का अद्भुत उदाहरण है।