रायपुर / ETrendingIndia / R&D projects launched for rare earth elements found in coal mine waste / कोयला अपशिष्ट में दुर्लभ मृदा तत्व , केंद्र सरकार ने 29 जनवरी, 2025 को 2024-25 से 2030-31 की अवधि के लिए राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) की स्थापना को मंज़ूरी दी।
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में यह जानकारी दी।
कोयला अपशिष्ट में दुर्लभ मृदा तत्व , इस मिशन के अंतर्गत ओवरबर्डन, टेलिंग, फ्लाई ऐश और रेड मड जैसे स्रोतों से महत्वपूर्ण खनिजों की प्राप्ति पर केंद्रित पायलट परियोजनाओं के लिए 100 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि सिंगरेनी थर्मल पावर प्लांट (एसटीपीपी) से एकत्रित कोयला से फ्लाई ऐश और बॉटम ऐश के नमूनों तथा ओवरबर्डन क्ले के नमूनों का सूक्ष्म तत्वों और दुर्लभ मृदा तत्वों (आरईई) के लिए विश्लेषण किया गया है.इसके फ्लाई ऐश और क्ले में कुल आरईई लगभग 400 पीपीएम पाए गए है।
इसके अलावा नेवेली स्थित एनएलसी इंडिया लिमिटेड की खदानों और ताप विद्युत संयंत्रों से एकत्रित ओवरबर्डन, लिग्नाइट और फ्लाई ऐश के नमूनों का भी दुर्लभ मृदा तत्व (आरईई) और सूक्ष्म तत्वों के लिए विश्लेषण किया गया। इसके फ्लाई ऐश में आरईई (2100 मिलीग्राम/किग्रा) की सांद्रता होती है, जिसमें हल्की और भारी दोनों तरह की आरईई और 300 मिलीग्राम/किग्रा यिट्रियम की मात्रा शामिल होती है।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कोयला खदान अपशिष्ट में पाए जाने वाले दुर्लभ मृदा तत्वों से संबंधित निम्नलिखित अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) परियोजनाएं शुरू की हैं:
- उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) कोयला क्षेत्र से आरईई और अन्य आर्थिक संसाधनों के मूल्यांकन परिणाम बताते हैं कि कुल आरईई कम है, लेकिन भारी आरईई सामग्री अपेक्षाकृत अधिक है।
- सिंगरौली कोयला क्षेत्र में गोंडवाना तलछट (कोयला, मिट्टी, शेल, बलुआ पत्थर) में सूक्ष्म तत्वों और आरईई सांद्रता के मूल्यांकन दर्शाते हैं कि आरईई की प्रकृति आशाजनक है.
- उत्तर पूर्वी कोयला क्षेत्रों के ऊपरी स्तरों से आरईई सहित महत्वपूर्ण खनिजों के निष्कर्षण के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी का विकास किया गया है, जिसका उद्देश्य (i) भौतिक पृथक्करण द्वारा गैर-कोयला स्तरों से महत्वपूर्ण धातुओं की संवर्धन तकनीक और (ii) आयन-एक्सचेंज रेजिन द्वारा गैर-कोयला स्तरों और एसिड माइन ड्रेनेज से महत्वपूर्ण धातुओं के निष्कर्षण तकनीक को विकसित करना है।
सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) ने इस क्षेत्र में अनुसंधान के लिए खनिज एवं सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएमएमटी), भुवनेश्वर; अलौह सामग्री प्रौद्योगिकी विकास केंद्र (एनएफटीडीसी), हैदराबाद और आईआईटी, हैदराबाद के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।