रायपुर / ETrendingIndia / गजरथ यात्रा छत्तीसगढ़ , छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने जशपुर के रणजीता स्टेडियम परिसर से ‘गजरथ यात्रा’ का शुभारंभ किया।

यह पहल छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी द्वंद को कम करने तथा वन्यजीव संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने की

दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

गजरथ यात्रा के माध्यम से ग्राम पंचायतों, स्कूलों व हाट-बाजारों में हाथियों के व्यवहार, सुरक्षा उपायों व सह-

अस्तित्व का संदेश दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने वन विभाग द्वारा तैयार लघु फिल्म और पुस्तिका का भी विमोचन किया, जिसमें हाथियों से संबंधित सावधानियां शामिल हैं।

हाथियों के व्यवहार, सुरक्षा उपायों व सह-अस्तित्व पर जानकारी

हाथी हैं बुद्धिमान और शांतिप्रिय जीव, खतरा महसूस होने पर ही आक्रामक होते होते है

हाथी अत्यंत बुद्धिमान, सामाजिक और भावनात्मक जीव होते हैं।

वे झुंड में रहना पसंद करते हैं और पारिवारिक संरचना में परस्पर सहयोग करते हैं।

आमतौर पर वे शांत रहते हैं, लेकिन यदि उन्हें खतरा महसूस हो या उनके झुंड को नुकसान पहुंचे, तो वे आक्रामक हो सकते हैं।

हाथी अपनी पारंपरिक आवागमन गलियों (माइग्रेशन कॉरिडोर) के माध्यम से भोजन और पानी की तलाश में

गाँवों और खेतों में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे मानव-हाथी द्वंद की स्थिति उत्पन्न होती है।

इस द्वंद को रोकने के लिए सबसे जरूरी है हाथियों के व्यवहार को समझना और उनके साथ सह-अस्तित्व का मार्ग अपनाना।

सुरक्षा उपायों के रूप में सौर ऊर्जा चालित बाड़, मधुमक्खी बॉक्स की बाड़बंदी, अलार्म सिस्टम, टॉर्च, सामूहिक

पहरा और मचान का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी सिद्ध हुआ है।

सह-अस्तित्व के लिए मानव समुदाय को हाथियों के प्राकृतिक गलियारे में अतिक्रमण नहीं करना चाहिए।

उनके भोजन और पानी के प्राकृतिक स्रोतों की सुरक्षा करनी चाहिए।

स्कूली शिक्षा, ग्राम सभाओं और जागरूकता अभियानों के माध्यम से यह संदेश जन-जन तक पहुँचाया जा सकता है,

जिससे वन्यजीवों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व संभव हो सके।