H-1B वीजा नई फीस
WASHINGTON, DC - SEPTEMBER 19: President Donald Trump sits at the Resolute desk after signing an executive order in the Oval Office at the White House on September 19, 2025 in Washington, DC. Trump signed two executive orders, establishing the "Trump Gold Card" and introducing a $100,000 fee for H-1B visas. The "Trump Gold Card" is a visa program that allows foreign nationals permanent residency and a pathway to U.S. citizenship for a $1 million investment in the United States. (Photo by Andrew Harnik/Getty Images)

रायपुर / ETrendingIndia / H-1B वीजा नई फीस से सिलिकॉन वैली में हलचल

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित नई H-1B वीजा फीस ने सिलिकॉन वैली की कंपनियों में हलचल मचा दी है। अब नए वीजा आवेदकों पर 1 लाख डॉलर की भारी फीस लगेगी। इस वजह से कई कंपनियां अपनी भर्ती योजनाओं को रोक रही हैं और ऑफशोरिंग की संभावना पर चर्चा कर रही हैं। कंपनियों ने रोकी भर्ती और बजट योजनाएँ

टेक सेक्टर के कई दिग्गज और स्टार्टअप्स ने कहा कि नई H-1B वीजा फीस उनके लिए असंभव है। बड़ी कंपनियां इस अतिरिक्त खर्च को झेल सकती हैं, लेकिन छोटे स्टार्टअप्स के लिए यह बहुत भारी साबित होगा। परिणामस्वरूप कई कंपनियां भारत जैसे देशों में भर्ती बढ़ाने पर विचार कर रही हैं।

स्टार्टअप्स पर सबसे ज्यादा असर

विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले का सबसे ज्यादा असर स्टार्टअप्स पर होगा। बड़ी टेक कंपनियां नकद और शेयर विकल्पों के जरिए इस बोझ को संभाल सकती हैं। लेकिन छोटे स्टार्टअप्स, जिनके पास सीमित नकदी है, उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा। इससे प्रतिस्पर्धा भी घट सकती है।

नवाचार और टैलेंट पर खतरा

विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यह नीति अमेरिका की इनोवेशन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। आधे से ज्यादा यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की स्थापना प्रवासी उद्यमियों ने की है। नई फीस के कारण दुनिया भर के प्रतिभाशाली लोग अमेरिका आने से हिचक सकते हैं।

कानूनी लड़ाई की तैयारी

कई कंपनियां और वकील इस फैसले को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन ने कांग्रेस की सीमा से अधिक शुल्क लगाया है। यदि राहत नहीं मिली तो सिलिकॉन वैली में भर्ती और नवाचार पर गंभीर असर पड़ सकता है।