रायपुर / ETrendingIndia / आइसलैंड ज्वालामुखी विस्फोट 2025 , रेक्जानेस प्रायद्वीप पर फिर सक्रिय हुआ ज्वालामुखी
आइसलैंड के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित रेक्जानेस प्रायद्वीप पर बुधवार को एक बार फिर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ।
यह 2021 के बाद से 12वां विस्फोट है, जो इस क्षेत्र की भूगर्भीय सक्रियता को दर्शाता है।
देश की मौसम विज्ञान सेवा के अनुसार, यह एक फिशर विस्फोट (Fissure Eruption) था, जिसमें लावा एक लंबे दरारनुमा रास्ते से निकलता है, न कि पारंपरिक ज्वालामुखी क्रेटर से।
रेक्जाविक और हवाई यातायात पर कोई खतरा नहीं
हालांकि विस्फोट राजधानी रेक्जाविक के पास हुआ, लेकिन फिलहाल वहां या वायु क्षेत्र में कोई तत्काल खतरा नहीं है।
पिछली बार की तरह इस बार भी राख का फैलाव न के बराबर रहा, जिससे हवाई यात्रा प्रभावित नहीं हुई।
ग्रिंडाविक और ब्लू लैगून को खतरा बना हुआ
ग्रिंडाविक मछली पकड़ने वाला कस्बा, जहां कभी 4,000 से अधिक लोग रहते थे, अभी भी खाली पड़ा है।
2023 में जारी हुए निकासी आदेश के बाद लोग वहां से हट चुके हैं, क्योंकि हर बार लावा और भूकंप का खतरा बना रहता है।
इसके पास स्थित ब्लू लैगून लक्ज़री स्पा और स्वार्टसेंगी थर्मल पावर स्टेशन को भी लावा से नुकसान पहुंचने की आशंका बनी हुई है।
दशकों तक चल सकते हैं ये विस्फोट
विज्ञान विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में ऐसे विस्फोट दशकों या सदियों तक जारी रह सकते हैं।
आइसलैंड में वर्तमान में 30 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जिससे यह देश ‘आग और बर्फ की भूमि’ कहा जाता है।
बढ़ती है वॉल्केनो टूरिज्म की मांग
भले ही खतरा बना रहता है, लेकिन आइसलैंड की यह ज्वालामुखीय गतिविधि वॉल्केनो टूरिज्म को बढ़ावा देती है।
हर साल हजारों रोमांच प्रेमी पर्यटक इन विस्फोट स्थलों को देखने के लिए यहां आते हैं।
यह प्रवृत्ति सिर्फ आइसलैंड तक सीमित नहीं है, बल्कि मेक्सिको, ग्वाटेमाला, सिसिली, इंडोनेशिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में भी फैली हुई है।
निष्कर्षतः
आइसलैंड ज्वालामुखी विस्फोट 2025 में हुआ यह नवीनतम विस्फोट एक बार फिर वहां की भौगोलिक अस्थिरता को उजागर करता है।
हालांकि अभी कोई बड़ी क्षति नहीं हुई है, लेकिन भविष्य में सतर्कता जरूरी है।
यह घटना ज्वालामुखी पर्यटन और वैश्विक पर्यावरणीय गतिविधियों पर भी असर डाल सकती है।