रायपुर 3 दिसंबर 2025/ ETrendingIndia / Indigenous Indian Space Centre: To be operational by 2035 / भारतीय स्वदेशी अंतरिक्ष केंद्र , इसरो ने पाँच मॉड्यूल वाले भारत के पहले स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन का पूरा डिजाइन तैयार कर लिया है। यह अंतरिक्ष स्टेशन वर्ष 2035 तक पूरी तरह काम करने लगेगा। इसकी डिजाइन की समीक्षा राष्ट्रीय स्तर की एक समिति ने की है।
सितंबर 2024 में केंद्र सरकार ने अंतरिक्ष स्टेशन के पहले मॉड्यूल बीएएस-01 को बनाने और वर्ष 2028 तक अंतरिक्ष में भेजने की मंजूरी दी थी। इस मॉड्यूल की इंजीनियरिंग और जरूरी तकनीकी विकास का काम तेज़ी से जारी है।
गगनयान कार्यक्रम के तहत ही अंतरिक्ष स्टेशन के विकास और पहले मॉड्यूल के प्रक्षेपण के लिए बजट जोड़ा गया है। सरकार ने सितंबर 2024 में इसकी स्वीकृति देते हुए गगनयान परियोजना का बजट बढ़ाकर 20,193 करोड़ रुपये कर दिया।
पहले मॉड्यूल बीएएस-01 को 2028 तक लॉन्च करना है और सभी पाँच मॉड्यूल जुड़ने के बाद अंतरिक्ष स्टेशन को 2035 तक पूरी तरह संचालित करने का लक्ष्य है।
भारतीय स्वदेशी अंतरिक्ष केंद्र , इसरो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बीएएस-01 के डिज़ाइन पर काम कर रहा है ताकि यह अन्य देशों की प्रणालियों के साथ भी आसानी से काम कर सके। साथ ही, कई अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ मिलकर तकनीक विकसित करने और परीक्षण सुविधाओं के उपयोग पर भी बातचीत चल रही है।
गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जो यह दिखाएगा कि भारत सुरक्षित रूप से मानव को पृथ्वी की कक्षा में भेजकर वापस ला सकता है। इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन भारत को अंतरिक्ष में नए वैज्ञानिक शोध, तकनीकी विकास और 2047 तक चंद्रमा पर मानव मिशन जैसी बड़ी योजनाओं के लिए मजबूत आधार देगा।
