आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि
आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि
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रायपुर 27 अगस्त 2025 / ETrendingIndia / Multi-mission stealth frigates – INS Udaygiri and INS Himgiri inducted into Indian Navy, will strengthen its role as first responder and preferred security partner in the Indian Ocean Region / देश के बढ़ते जहाज निर्माण कौशल और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम के प्रमाण के रूख में, परियोजना 17 ए के दो बहु-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट – आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि नौसेना बेस, विशाखापत्तनम में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।

ऐसा पहली बार है कि दो अलग-अलग शिपयार्ड – मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई [आईएनएस उदयगिरि] और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई), कोलकाता [आईएनएस हिमगिरि] द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित दो फ्रंटलाइन सतह लड़ाकू जहाजों को एक साथ कमीशन किया गया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि ये युद्धपोत न केवल सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत और समुद्री हितों की रक्षा करने का काम करेंगे बल्कि मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियानों में भी सहायता करेंगे।

इन युद्धपोतों का जलावतरण भारत की “पड़ोसी पहले” और “महासागर” (क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास हेतु पारस्परिक और समग्र उन्नति) की नीति को बल प्रदान करता है।

उन्होंने आगे कहा, “ये युद्धपोत, भारतीय नौसेना की क्षमता को बढ़ाएंगे और यह संदेश देंगे कि भारत अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है और किसी भी स्थिति का तुरंत जवाब देने के लिए तैयार है।”

आत्मनिर्भर नौसेना

आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि में बेहतर स्टेल्थ सुविधाएं, कम रडार सिग्नल, उन्नत निगरानी रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक मिसाइलें, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और रैपिड-फायर गन सिस्टम शामिल हैं।

दोनों जहाजों में उच्च गति और बेहतर ईंधन दक्षता प्रदान करने वाली संयुक्त डीजल या गैस प्रणोदन संयंत्र और एक अत्याधुनिक एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली है।

भारत में निर्मित 100 वें और 101वें युद्धपोत भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा स्वयं डिज़ाइन किए गए हैं।

ब्लू वाटर नेवी

ये अगली पीढ़ी के हथियारों, सेंसरों और एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणालियों से लैस हैं और वायु-रोधी, सतह-रोधी और पनडुब्बी-रोधी युद्ध, समुद्री नियंत्रण और मानवीय अभियानों के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा, “समुद्री डकैती से निपटने से लेकर तस्करी और अवैध तस्करी के ख़िलाफ़ लड़ाई, समुद्री आतंकवाद पर अंकुश लगाने या प्राकृतिक आपदा के बाद राहत प्रदान करने तक, ये युद्धपोत जटिल और जोखिम भरे अभियानों में निर्णायक साबित होंगे।”

सदैव तैयार नौसेना

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “दुश्मन को हमारी नौसेना की ताकत और क्षमता का एहसास है” .

भविष्य के लिए तैयार नौसेना

युद्ध के तेज़ी से बदलते स्वरूप पर, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हर संघर्ष में नई तकनीकें, रणनीतियां और उपकरण देखने को मिल रहे हैं, और यह आवश्‍यक हो गया है कि न केवल खुद को अपडेट रखा जाए, बल्कि नए पहलुओं का भी पता लगाया जाए और अप्रत्याशित सफलताएं हासिल की जाएं।

उन्होंने कहा, “आज के दौर में पुरानी सोच काम नहीं आएगी। हमें नए खतरों का अनुमान लगाकर उनका समाधान ढूंढ़ते रहना होगा.

इसीलिए हमारी सरकार रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता दे रही है। पहले, कुछ ही देश उच्च तकनीक वाले उपकरण बनाते थे और अब भारत इनका निर्माण स्‍वदेशी तौर पर कर रहा है।”

उन्होंने कहा, “आज हम न केवल जल, थल और नभ की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि अंतरिक्ष, साइबरस्पेस, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र की भी रक्षा कर रहे हैं।

आत्मनिर्भरता अब केवल एक नारा नहीं रह गई है; यह एक ज़मीनी हकीकत बनती जा रही है। और यह हमारे वैज्ञानिकों, सशस्त्र बलों के बीच अधिकारियों और दिन-रात मेहनत करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की कड़ी मेहनत का परिणाम है।

आधुनिक उदयगिरि, पूर्ववर्ती आईएनएस उदयगिरि को श्रद्धांजलि देता है, जो 1976 से 2007 तक सेवा में रहा, जबकि हिमगिरि, पूर्ववर्ती हिमगिरि का सम्मान करता है जिसने 1974 से 2005 तक सेवा दी।

दोनों फ्रिगेट पूर्वी नौसेना कमान के अंतर्गत पूर्वी बेड़े में शामिल होंगे, जिससे समुद्री आकस्मिकताओं पर तेज़ी से प्रतिक्रिया देने और बंगाल की खाड़ी और उसके आगे समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने की भारत की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी