रायपुर / ETrendingIndia / जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशन में 30 मार्च को उज्जैन से हुई थी। दो महीने से अधिक चले इस अभियान को अपार जन समर्थन मिला। 5 जून तक 2139 बावड़ियों और 4254 तालाबों की सफाई की गई, जबकि 3468 नदी घाटों पर भी कार्य हुआ।
इसके अलावा, 15,913 जल संगोष्ठियाँ, 1677 नुक्कड़ नाटक, और 12,878 दीवार लेखन के ज़रिए लोगों को जल गंगा संवर्धन अभियान से जोड़ा गया। इस पहल में 36 लाख से अधिक नागरिकों ने सक्रिय भागीदारी की है, जिससे यह एक व्यापक जन आंदोलन बन गया।
देवास और सीहोर जैसे जिलों में प्राचीन जल स्त्रोतों की सफाई, सौंदर्यीकरण और संरक्षण के प्रेरक उदाहरण सामने आए। 300 से 450 वर्ष पुरानी बावड़ियों को साफ किया गया और ‘बावड़ी उत्सव’ जैसे आयोजनों के माध्यम से सांस्कृतिक जागरूकता भी फैलाई गई। इन गतिविधियों से वर्षा जल संचयन और भूजल स्तर सुधार की आशा है।
अंत में, दीवार लेखन, पेंटिंग्स और जन शपथ के माध्यम से जल संरक्षण का संदेश जन-जन तक पहुंचा। यह स्पष्ट है कि जब समाज एकजुट होकर प्रयास करता है, तो बदलाव संभव है। जल गंगा अभियान इसका उत्कृष्ट उदाहरण है।