ETrendingIndia रायपुर/ छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के किसानों ने पारंपरिक धान की खेती को छोड़कर जल संरक्षण और दलहन-तिलहन फसलों की ओर रुख किया है, जिससे आर्थिक लाभ की नई मिसाल कायम हुई है।
जिले में पिछले वर्ष गर्मी के धान के रकबे में 6,283 हेक्टेयर की कमी आई, जिससे 7,539 करोड़ लीटर पानी की अनुमानित बचत हुई। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस बदलाव से किसानों को 2,641 करोड़ रुपये का लाभ हुआ।
धान की तुलना में दलहन-तिलहन की फसलें कम समय में तैयार हो जाती हैं और इनकी सिंचाई के लिए आधे से भी कम पानी की आवश्यकता होती है। इस बदलाव के चलते बिजली और खेती की लागत में भी उल्लेखनीय कमी आई।
इसके लिए कृषि विभाग ने गांव-गांव जाकर किसानों को जागरूक किया और जल संकट से बचने के उपाय बताए।
महिला किसान को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
परसतराई गांव में सामूहिक निर्णय से गर्मी में धान की खेती रोककर दलहन-तिलहन अपनाए गए, जिससे गांव के भूजल स्तर में सुधार आया।अब यह मॉडल 494 गांवों में फैल चुका है और किसानों के लिए प्रेरणा बन रहा है। परसतराई की किसान श्रीमती देवी साहू को जल संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। धमतरी का यह सफल प्रयोग खेती में नए बदलाव का प्रतीक बन रहा है।