कम पानी वाले क्षेत्रों में बांस
कम पानी वाले क्षेत्रों में बांस

रायपुर / ETrendingIndia / Discussion on promoting bamboo production in water scarce areas/ कम पानी वाले क्षेत्रों में बांस , राजस्थान के राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने राज्य के कम पानी वाले भूमि पर बांस उगाने और इसकी मार्केटिंग की कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए है जिससे किसानों को अधिक से अधिक आर्थिक लाभ मिल सके।

श्री बागडे ,राजभवन में ग्रामीण आजीविका सृजन में बांस की भूमिका विषयक विशेष बैठक में संबोधित कर रहे थे।

कम पानी वाले क्षेत्रों में बांस , महाराष्ट्र में बांस से जुड़े उत्पादों से किसानों को होने वाले लाभ और इसके पर्यावरण और आर्थिक महत्व को देखते हुए यह बैठक आयोजित की गई थी।

राज्यपाल ने कहा कि राजस्थान की गर्म जलवायु के लिए बांस लगाना बहुत उपयोगी होगा।

श्री बागडे ने कहा कि बांस घास की तरह तेजी से बढ़ता है। इसलिए भारत सरकार ने कानून में बदलाव कर वन भूमि के पौधों की बजाय इसे घास श्रेणी में रखा है ।

पर्यावरण एवं सतत विकास, मुख्यमंत्री टास्क फोर्स, महाराष्ट्र के अध्यक्ष पाशा पटेल ने कहा कि राजस्थान जैसे गर्म जलवायु वाले क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण और किसानों के आर्थिक लाभ की दृष्टि से बांस का उत्पादन वरदान साबित हो सकता है।

उन्होंने कहा कि चीन में 1980 में बांस उत्पादन प्रारंभ हुआ और आज इससे वह बहुत बड़े स्तर पर आर्थिक लाभ ले रहा है। वहां 5 मिलियन हेक्टर में बांस उत्पादन हो रहा है जबकि भारत में 10 मिलियन हेक्टेयर में बांस होने के बावजूद इसके विपणन और उत्पादों की विविधता में कमी के कारण हम इसका आर्थिक लाभ नहीं ले पा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने जब से इसे घास श्रेणी में रखा है तब से महाराष्ट्र में इस दिशा में तेजी से विकास हुआ है।

विश्वभर के देशों में बांस के निर्माण कार्यों और फर्नीचर के साथ अन्य उत्पादों में हम अग्रणी हुए हैं।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में किसानों को नरेगा के तहत बांस उत्पादन के प्रोत्साहन हेतु 7 लाख का तक का अनुदान दिया जाता है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती श्रेया गुहा , अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री आनंद कुमार ,पद्मश्री श्यामसुंदर पालीवाल, बांस विशेषज्ञ और टाटा ट्रस्ट के श्री संजीव कार्पे,राज्यपाल के सचिव डॉ. पृथ्वी ने बांस के उत्पादों के निर्यात के साथ इससे होने वाले लाभों की जानकारी दी।