ETrendingIndia रायपुर / कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप का रुख शुरू से ही स्पष्ट नहीं रहा है। समय के साथ उनके बयानों और अमेरिकी प्रशासन की नीति में बदलाव देखने को मिला है। मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष और बाद की सीज़फायर की स्थिति में डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को मध्यस्थ की भूमिका में पेश किया। उन्होंने दावा किया कि उनकी पहल से दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ है।

हालाँकि, भारत ने ट्रंप की इस पेशकश को सख्ती से खारिज कर दिया। भारत का स्पष्ट रुख रहा है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और किसी तीसरे पक्ष की भूमिका इसमें स्वीकार्य नहीं है। भारत ने कहा कि सीज़फायर पूरी तरह दोनों देशों की आपसी बातचीत का परिणाम है, न कि किसी बाहरी प्रभाव का।

इसके बाद, अमेरिकी विदेश विभाग ने भी अपना रुख बदलते हुए कहा कि क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यक्ष बातचीत ही उपयुक्त उपाय है। यह परिवर्तन दर्शाता है कि अमेरिका ने अंततः भारत के दृष्टिकोण को मान्यता दी।

इसके अलावा, ट्रंप के कुछ विवादास्पद बयानों, जैसे कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1500 वर्षों से संघर्ष चलने की बात, ने भारतीय जनता और राजनीतिक हलकों में नाराजगी को जन्म दिया।

इस प्रकार, कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप का रुख पहले मध्यस्थता का था, लेकिन भारत के विरोध और तर्कों के बाद अमेरिका ने स्पष्ट किया कि समाधान का मार्ग सिर्फ द्विपक्षीय संवाद से ही निकल सकता है।