रायपुर 18 अगस्त 2025/ ETrendingIndia / Retired professors, teachers and employees of Agricultural University have been deprived of pension and allowances for months: Bharatiya Rajya Pensioners Mahasangh alleges, if demands are not met, decision to launch agitation against the University and local fund audit within 15 days / कृषि विश्वविद्यालय पेंशन संकट , भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश की अगुवाई में रविवार को कृषि विश्वविद्यालय परिसर जोरा रायपुर में रिटायर प्रोफेसर और अन्य सेवानिवृत कर्मचारियों की बैठक हुई।

कृषि विश्वविद्यालय पेंशन संकट , बैठक में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष जे पी मिश्रा, संभागीय अध्यक्ष प्रवीण कुमार त्रिवेदी तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय पेंशनर्स टीचर्स एसोशिएशन के अध्यक्ष डॉ एन के चौबे की उपस्थिति में पेंशनर्स की समस्याओं पर विचार-विमर्श के बाद इसके निराकरण हेतु कुलपति और लोकल फंड आडिट प्रत्यक्ष भेंट करने का निर्णय लिया गया।

    जारी विज्ञप्ति में कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लोकल फंड आडिट से मिलीभगत कर सेवानिवृत अधिकारियों और कर्मचारियों का शोषण करने का आरोप लगाया गया है। 

रिटायर होने के एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पेंशन प्रकरण को लटका कर रखा गया है और लोग पेंशन और उपादान के साथ साथ जीपीएफ राशि के भुगतान से वंचित आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।

सेवानिवृत्त कर्मचारियों को शासन के आदेश को नजरअंदाज कर 90%अंतरिम पेंशन भी नहीं देकर अपराधिक कृत्य किया जा रहा है।

कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन से पेंशन में विलंब पर पेंशनर्स को नियमानुसार 9% दर से पेंशन और उपादान पर ब्याज का भुगतान करने की मांग भी गई है।

भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने  केंद्र सरकार के समान राज्य सरकार के साथ मिलने वाला महंगाई राहत (डी आर) देने में  कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोताही बरतने पर आश्चर्य जताया है। हद तो यह भी है कि छठवां और सातवां वेतनमान का एरियर भी दबाए बैठे हैं।

डी आर देने के आदेश में 42% प्रतिशत के आदेश के बाद 46% देने का आदेश को छोड़कर सीधे 50% डीआर देने का आदेश किया गया। 4% डी आर का आदेश ही नहीं किया गया यह भी अदभुत करिश्मा है और उसके बाद 3% के आदेश का भी पता नहीं है।

इस सारे मामले को लेकर 15 दिन के अंदर विश्विद्यालय और लोकल फंड आडिट के विरुद्ध आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया गया है।

इन सभी मामलों को लेकर कुलाधिपति राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कृषिमंत्री और वित्त मंत्री से प्रत्यक्ष भेंट करने का निर्णय लिया गया है।