रायपुर 14 दिसंबर 2025/ ETrendingIndia / लोक अदालतें न्याय सुविधा , देश में आम लोगों को जल्दी और आसानी से न्याय दिलाने के लिए लोक अदालतों का एक मजबूत और व्यापक ढांचा बनाया गया है। राज्य, जिला, तालुक, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय स्तर पर लोक अदालतें स्थापित हैं, ताकि हर नागरिक तक यह सुविधा पहुंच सके।
लोक अदालतों में अदालतों में लंबित मामलों के साथ-साथ मुकदमे से पहले के विवाद भी भेजे जाते हैं। इससे लोगों को लंबी और महंगी मुकदमेबाजी से राहत मिलती है और आपसी सहमति से जल्दी समाधान निकलता है।
लोक अदालतें सुलह के सिद्धांत पर काम करती हैं, जहां किसी को हार-जीत का डर नहीं होता। मामला सुलझने पर पहले जमा की गई अदालती फीस भी वापस कर दी जाती है। लोक अदालत का फैसला अंतिम होता है और उस पर अपील नहीं की जाती।
लोक अदालतों की सबसे बड़ी खासियत उनका चार स्तरीय ढांचा है। राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नीति और निगरानी करता है। राज्य स्तर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और तालुक स्तर पर तालुक विधिक सेवा समितियां काम करती हैं। इस व्यवस्था से शहरों के साथ-साथ गांवों तक भी न्याय की पहुंच बनी रहती है।
राष्ट्रीय लोक अदालतें पूरे देश में एक ही दिन आयोजित की जाती हैं, जिनमें हजारों मामलों का निपटारा होता है। वहीं, स्थायी लोक अदालतें परिवहन, बिजली, पानी, डाक और दूरसंचार जैसी सार्वजनिक सेवाओं से जुड़े विवादों को जल्दी सुलझाती हैं।
कुल मिलाकर, लोक अदालतें और स्थायी लोक अदालतें न्याय व्यवस्था पर बोझ कम कर रही हैं और लोगों में न्याय के प्रति विश्वास बढ़ा रही हैं। ये साबित करती हैं कि न्याय सरल, संवेदनशील और जन-केंद्रित हो सकता है।
