the Indian Army
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रायपुर 19 अक्तूबर 2025 / ETrendingIndia /The first batch of Made in India BrahMos missiles was dedicated to the Indian Army, and Pakistan was shaken by the Defence Minister’s call/ मेड इन इंडिया ब्रह्मोस मिसाइल , आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भारत-रूस संयुक्त उद्यम की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस अब पूरी तरह ‘मेड इन इंडिया’ बनकर तैयार है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित ब्रह्मोस मिसाइल उत्पादन केंद्र में तैयार की गई पहली खेप आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय सेना को सौंप दी गई।

इसे देश की रक्षा क्षमता में एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में चेतावनी दी। उन्होंने कहा, पाकिस्तान की जहां तक बात है, तो अब उसकी एक-एक इंच जमीन ब्रह्मोस की पहुंच में है।

ऑपरेशन सिन्दूर में जो हुआ, वह तो सिर्फ ट्रेलर था। पर उस ट्रेलर ने ही पाकिस्तान को यह एहसास दिला दिया, कि अगर भारत, पाकिस्तान को जन्म दे सकता है, तो समय आने पर वहज् अब आगे मुझे बताने की जरूरत नहीं है, आप सभी समझदार हैं।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पूरी तरह स्वदेशी ब्रह्मोस के सेना में शामिल होने से पाकिस्तान की नींद उडऩा तय है।

‘ऑपरेशन सिंदूर में दिखी थी ब्रह्मोस की ताकत

सूत्रों के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30 एमकेआई से एयर-लॉन्च ब्रह्मोस मिसाइल दागी थी। इस मिसाइल ने 300 किलोमीटर से अधिक की दूरी से पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को सटीकता से नेस्तनाबूद कर दिया था।

यह पहली बार था जब भारतीय मिसाइल ने इतनी दूर से दुश्मन की धरती पर आतंकी अड्डों को तबाह किया।

तीनों सेनाओं की रीढ़ है ब्रह्मोस
ब्रह्मोस मिसाइल इस समय भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना, तीनों का अहम हिस्सा बन चुकी है।

भारतीय थलसेना के पास फिलहाल चार ब्रह्मोस रेजिमेंट हैं, जो सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों में तैनात हैं। वहीं, भारतीय नौसेना के लगभग सभी प्रमुख विध्वंसक युद्धपोत (ष्ठद्गह्यह्लह्म्श4द्गह्म्ह्य) ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हैं। इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना के सुखोई स्ह्व-30 रू्यढ्ढ लड़ाकू विमान भी अब एयर-लॉन्च ब्रह्मोस के साथ लंबी दूरी तक सटीक हमला करने में सक्षम हो गए हैं।

भविष्य की तैयारी

वर्तमान ब्रह्मोस की रेंज 290 से 400 किमी है, लेकिन अब ष्ठक्रष्ठह्र और ब्रह्मोस एयरोस्पेस ‘क्चह्म्ड्डद्धरूशह्य-हृत्रÓ (नेक्स्ट जेनरेशन) पर काम कर रहे हैं। यह हल्की, तेज और स्टील्थ तकनीक से लैस होगी, जिसकी रेंज 500 किमी से अधिक तक बढ़ाए जाने की संभावना है।

लखनऊ में बनी यह इकाई भारत की पहली फुल-स्केल असेंबली और इंटीग्रेशन यूनिट है। यहां सालाना 80 से 100 मिसाइलों के उत्पादन की क्षमता है, जिसे आगे बढ़ाकर 150 मिसाइलें प्रति वर्ष करने की योजना है। यह केंद्र न केवल सेना की जरूरतें पूरी करेगा बल्कि भविष्य में एक बड़ा निर्यात केंद्र भी बनेगा।