मेरे पिता मेरे आदर्श
मेरे पिता मेरे आदर्श

मेरे पिता मेरे आदर्श , बचपन से मैंने पिताजी को ईमानदारी से काम करते देखा । केंद्र सरकार में वे शिक्षा अधिकारी के पद पर आसीन थे।

हम नागपुर में रहते थे। हमारी पढ़ाई में कोई विघ्न नहीं आए ,इस कारण स्थानांतरण होने पर अकेले कई वर्षों तक विभिन्न स्थानों पर रहते और अपनी सारी व्यवस्थाएं स्वयं करते।

लेकिन मैंने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कभी उन्हें परेशान नहीं देखा। वे ईमानदार, सत्यवादी और स्पष्टवादी थे।

भ्रष्टाचार विरोधी होने के कारण उनके साथ काम करने वाले कुछ भ्रष्ट कर्मचारी उनसे नाराज रहते लेकिन वे हमेशा अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते।

एक समय ऐसा भी आया, जब अथक मेहनत के बावजूद उन्हें जिला अधिकारी का पद नहीं मिला, जिसके वे अधिकारी थे।

एक दिन मैंने उनसे पूछ ही लिया ,”” पिताजी,इतनी ईमानदारी, कड़ी मेहनत और अच्छाइयों के बावजूद आपको पदोन्नति क्यों नहीं मिल पा रही हैं ? कुछ लोग तो बेईमानी करते हुए भी आपसे आगे निकल गए हैं।आपको ईमानदारी का फल क्यों नहीं मिलता ? “

उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा, “बेटा, मुझे ऐसी पदोन्नति नहीं चाहिए जिसके लिए मुझे अपने संस्कारों और सिद्धांतों को त्यागना पड़े । जब मैं भगवान के पास जाऊंगा तो शर्मिंदा नहीं होना चाहता। जो मेरे भाग्य में है वह मुझे जरूर मिलेगा ,भले ही देर से मिले।”

मैं हतप्रभ थी ! मेरे पिता ईश्वर के रूप में मेरे सामने खड़े थे, जिनकी बेटी होने पर मुझे गर्व महसूस हो रहा था।

सभी से स्नेह रखने वाले मेरे पूज्य पिता स्व. श्री जयकरण केसरवानी जी के सिद्धांत हमारी प्रेरणा हैं, मैंने उनके आदर्शों को अपनाया है और उन्हीं के सिद्धांतों पर अटल रहने की कोशिश करती हूं।

मैं जानती हूं कि मेरे पिता जी का आशीर्वाद सदैव मेरे साथ है।

मेरे पूज्य पिता जी को शत् शत् नमन 🙏

अचला गुप्ता ,इंदौर

( लेखिका का ‘अभिरूचि लघुकथा संग्रह’ और ‘अभिरूचि काव्य कलश’ नाम से रचनाओं का प्रकाशन हुआ है. इसके अलावा अनेक साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हुई है. अनेक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कार एवं सर्टिफिकेट और समाज सेवी संस्थाओं द्वारा सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए उन्हें अनेक अवार्ड दिए गए हैं । वर्तमान में वे लीनेस डिस्ट्रिक्ट कृष्णिका संस्था में डिस्ट्रिक्ट सचिव के पद पर कार्यरत है ।)

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