रायपुर / ETrendingIndia / एनएलसीआईएल अक्षय ऊर्जा निवेश , कैबिनेट का बड़ा निर्णय, हरित ऊर्जा को मिलेगा नया बल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL) को 7000 करोड़ रुपये के निवेश के लिए विशेष छूट दी गई है।
यह निवेश कंपनी की अक्षय ऊर्जा विस्तार योजनाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से किया जाएगा।
इस छूट के तहत, एनएलसीआईएल अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल्स लिमिटेड (NIRL) में सीधे निवेश कर सकेगी।
अब उसे मौजूदा CPSE दिशानिर्देशों के तहत पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होगी।
निवेश सीमा की बाध्यता हटी, मिलेगी अधिक लचीलापन
इस निर्णय का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अब एनएलसीआईएल और उसकी सहायक कंपनियां अपने नेट वर्थ के 30% तक निवेश सीमा से मुक्त रहेंगी।
इससे उन्हें संयुक्त उपक्रमों और नई परियोजनाओं में अधिक वित्तीय और संचालन स्वतंत्रता मिलेगी।
इसके अलावा, मौजूदा 2 GW की अक्षय ऊर्जा संपत्तियों को NIRL को हस्तांतरित किया जाएगा, जिससे सभी हरित परियोजनाओं का प्रबंधन एकीकृत रूप में हो सकेगा।
2030 और 2047 के लिए तय किए गए हैं बड़े लक्ष्य
यह मंजूरी एनएलसीआईएल के 2030 तक 10.11 गीगावॉट और 2047 तक 32 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को साकार करने में मदद करेगी।
यह कदम COP26 में भारत द्वारा किए गए जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।
भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता का निर्माण करने और 2070 तक नेट ज़ीरो एमिशन प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मिलेगा बल
सरकारी बयान के अनुसार, यह निर्णय देश में कोयला आयात को कम करने, जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाने और 24×7 भरोसेमंद बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
NIRL अब कंपनी की हरित ऊर्जा पहलों को प्रमुख प्लेटफॉर्म के रूप में आगे बढ़ाएगी और नई परियोजनाओं की प्रतिस्पर्धी बोलियों में भाग लेना जारी रखेगी।
निष्कर्षतः
एनएलसीआईएल अक्षय ऊर्जा निवेश के लिए मिली यह विशेष छूट भारत की ऊर्जा क्षेत्र में हरित बदलाव की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
यह न केवल राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि नीतिगत सुधार और निवेश लचीलापन का भी प्रतीक है।