रायपुर / ETrendingIndia / IFBA ने ‘नो पाम ऑयल’ लेबल को बताया भ्रामक
भारतीय खाद्य एवं पेय संघ (IFBA) ने उपभोक्ता उत्पादों पर तेजी से बढ़ते ‘नो पाम ऑयल’ लेबल को भ्रामक और गुमराह करने वाला बताया है।
इसके अनुसार, यह विज्ञान पर आधारित स्वास्थ्य सलाह नहीं बल्कि एक मार्केटिंग रणनीति है।
संघ के अध्यक्ष दीपक जॉली ने कहा कि,
“यह लेबल विज्ञान से अधिक मार्केटिंग को प्राथमिकता देता है।”
पाम ऑयल का पोषण में महत्त्वपूर्ण योगदान
IFBA ने यह भी बताया कि पाम ऑयल भारत में 19वीं सदी से उपयोग में है और यह पोषण का एक स्थिर स्रोत है।
इसके अलावा, इसमें पाए जाने वाले टकोट्राइनॉल्स कोलेस्ट्रॉल घटाने और हृदय स्वास्थ्य में सहायक होते हैं।
ICMR के 2024 के दिशा-निर्देशों के अनुसार, खाद्य तेलों का घूर्णन ज़रूरी है और इसमें पाम ऑयल भी शामिल है।
सोशल मीडिया से प्रभावित हो रहे उपभोक्ता
IFBA ने चेतावनी दी कि सोशल मीडिया पर फैली जानकारी से उपभोक्ता भ्रमित हो रहे हैं।
इस कारण, वे संतुलित पोषण की बजाय फैशन या ट्रेंड पर आधारित निर्णय ले रहे हैं।
उदाहरण स्वरूप, ‘Palm Oil Free’ जैसे लेबल बिना वैज्ञानिक पुष्टि के लोगों को गलत दिशा में ले जा रहे हैं।
सरकार की योजना और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य
सरकार की राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – ऑयल पाम (NMEO-OP) योजना की भी सराहना की गई है।
इस योजना के तहत भारत में तेल उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि आयात पर निर्भरता कम हो।
निष्कर्षतः, IFBA ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे मार्केटिंग की बजाय संतुलित पोषण पर ध्यान दें।