ETrendingIndia केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में पंद्रहवां वित्त आयोग अनुदान के तहत ₹620 करोड़ से अधिक की राशि जारी की है। 18 मार्च 2025 को घोषित इस राशि में दूसरी किश्त के रूप में ₹611.6913 करोड़ और पहली किश्त का रोका गया हिस्सा ₹8.4282 करोड़ शामिल है। यह धनराशि राज्य के 4 जिला पंचायतों, 40 ब्लॉक पंचायतों और 21,551 ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाएगी, जिससे स्थानीय विकास को गति मिलेगी।
सबसे पहले, पंद्रहवां वित्त आयोग अनुदान दो प्रकारों में बंटा है: असंबद्ध और संबद्ध अनुदान। असंबद्ध अनुदान पंचायती राज संस्थानों को ग्यारहवीं अनुसूची के 29 विषयों के तहत स्थानीय जरूरतों—जैसे बुनियादी ढांचा और सामुदायिक परियोजनाओं—के लिए उपयोग करने की आजादी देता है, सिवाय वेतन और स्थापना लागत के। दूसरी ओर, संबद्ध अनुदान स्वच्छता—खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) स्थिति बनाए रखना, घरेलू कचरा प्रबंधन—और पेयजल आपूर्ति, जैसे वर्षा जल संचयन और पुनर्चक्रण, के लिए निर्धारित है। यह दोहरी रणनीति ग्रामीण प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के साथ लचीलापन प्रदान करती है।
इसके अलावा, यह पंद्रहवां वित्त आयोग अनुदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित पंचायत से विकसित भारत” के दृष्टिकोण को मजबूत करता है। पंचायती राज और जल शक्ति मंत्रालयों की सिफारिश पर वित्त मंत्रालय द्वारा साल में दो किश्तों में जारी यह अनुदान जमीनी लोकतंत्र को बढ़ावा देता है। इससे पंचायतें बुनियादी ढांचा, स्वच्छता और जल पहुंच जैसे मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल कर सकती हैं।
अंत में, पंद्रहवां वित्त आयोग अनुदान के जरिए ₹620 करोड़ से अधिक की यह राशि महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक अहम कदम है। यह स्थानीय निकायों को उनकी जरूरतों को पूरा करने की शक्ति देकर जीवन स्तर को ऊंचा उठाएगा और 2025 में भारत में ग्रामीण परिवर्तन को तेज करेगा।