रायपुर 4 दिसंबर 2025/ ETrendingIndia / प्लास्टिक से सड़क निर्माण , देश में अब सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। इसका उद्देश्य प्लास्टिक कचरे को कम करना और पर्यावरण-अनुकूल सड़कें बनाना है। कई राज्यों में शहरों और नगर निगमों ने प्लास्टिक वेस्ट को बिटुमिन के साथ मिलाकर सड़कें तैयार की हैं।
पंजाब के कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्ट्री (RCF) ने 2020 में अपने टाउनशिप में प्लास्टिक कचरे से सड़कें बनाकर इस दिशा में सराहनीय कदम उठाया। झारखंड का जमशेदपुर देश का पहला शहर था, जिसने ‘प्लास्टिक बाय बैक पॉलिसी’ शुरू की। कई नगर निगम स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को प्लास्टिक इकट्ठा करने और उसे काटने-छांटने के काम में जोड़कर स्वच्छता और रोजगार—दोनों को बढ़ावा दे रहे हैं।
तमिलनाडु के चेन्नई, महाराष्ट्र के पुणे, कर्नाटक के बेंगलुरु, गुजरात के सूरत, उत्तर प्रदेश के लखनऊ और गाजियाबाद, असम के गुवाहाटी, दिल्ली-NCR, हरियाणा के गुरुग्राम और ओडिशा के कई क्षेत्रों में भी प्लास्टिक का उपयोग कर सड़कें बनाई जा रही हैं।
दिल्ली में धौला कुआं–IGI एयरपोर्ट रोड और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के कुछ हिस्सों में भी यह प्रयोग किया गया है।
यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कचरे से कंचन’ के विचार को आगे बढ़ाती है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2014 से 2025 तक प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन में बड़ा बदलाव आया है। 2021 में शुरू किए गए SBM-U 2.0 में लक्ष्य रखा गया कि शहरों में 100% ठोस कचरे, खासकर प्लास्टिक का वैज्ञानिक तरीके से निपटान हो और लैंडफिल की जरूरत खत्म हो जाए।
प्लास्टिक से सड़क निर्माण की यह तकनीक स्वच्छता और टिकाऊ विकास—दोनों को मजबूत बना रही है। यह ‘स्वच्छता से समृद्धि’ और ‘विकसित भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
