रेलवे मल्टी-ट्रेकिंग परियोजनाएं
रेलवे मल्टी-ट्रेकिंग परियोजनाएं
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रायपुर अक्टूबर 7, 2025 / ETrendingIndia / Railway multi-tracking projects of 4 states including Madhya Pradesh approved, Chief Minister expresses gratitude to the Prime Minister / रेलवे मल्टी-ट्रेकिंग परियोजनाएं , प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय मंत्रि-मंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने मध्यप्रदेश सहित 4 राज्यों के 18 जिलों में रेलवे की 4 मल्टी-ट्रेकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

मल्टी-ट्रेकिंग (पटरियों की संख्या बढ़ाना) से रेल परिचालन सुगम होगा और यात्रियों को सुविधा होगी।

मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्यों के 18 जिलों में व्‍याप्‍त इन चार परियोजनाओं से भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 894 किलोमीटर की वृद्धि होगी।

रेलवे मल्टी-ट्रेकिंग परियोजनाएं , मध्यप्रदेश को मिली इस सौगात के लिये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार मानते हुए धन्यवाद किया है।

पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत तैयार इन परियोजनाओं का उद्देश्य एकीकृत योजना और हितधारक परामर्श द्वारा मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता बढ़ाना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रेलवे लाइन क्षमता में बढ़ोत्‍तरी से गतिशीलता बढ़ेगी जिससे भारतीय रेलवे की परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा।

इन परियोजनाओं से क्षेत्र के लोगों का व्यापक विकास होगा, वे आत्मनिर्भर बनेंगे और उनके लिए रोज़गार/स्वरोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।

इसके तहत मध्यप्रदेश में 237 किलोमीटर लंबी इटारसी- भोपाल-बीना चौथी लाइन को और गुजरात एवं मध्यप्रदेश के बीच 259 किलोमीटर लंबी बढ़ोदरा-रतलाम, तीसरी और चौथी लाइन को मंजूरी दी गई है।

इसके साथ ही महाराष्ट्र में वर्धा-भुसावल के बीच 314 किलोमीटर लंबी तीसरी और चौथी लाइन को तथा महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ में 84 किलोमीटर लंबी गोंदिया-डोंगरगढ़ चौथी लाइन को मंजूरी दी गई है।

कुल 24 हजार 634 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली ये परियोजनाएं 2030-31 तक पूरी होंगी।

स्वीकृत मल्टी-ट्रेकिंग परियोजनाओं से लगभग 3 हजार 633 गांवों, जिनकी जनसंख्या लगभग 85 लाख 84 हजार है तथा 2 आकांक्षी जिलों विदिशा और राजनांदगांव तक संपर्क बढ़ेगा।

मध्यप्रदेश में परियोजना खंड सांची, सतपुड़ा बाघ अभयारण्य, प्रागैतिहासिक मानव जीवन के प्रमाणों और प्राचीन शैल चित्रकला के लिए प्रसिद्ध भीमबेटका शैलाश्रय, हज़ारा जलप्रपात, नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान आदि प्रमुख स्थलों को भी रेल संपर्क प्रदान करेगा, जो देश भर के पर्यटकों को आकर्षित करेगा।

यह कोयला, कंटेनर, सीमेंट, फ्लाई ऐश, खाद्यान्न, इस्पात आदि वस्तुओं के परिवहन के लिए भी आवश्यक मार्ग है।

पटरियों की संख्या बढ़ाए जाने से प्रति वर्ष 78 मिलियन टन की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे के पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन देश के जलवायु लक्ष्यों और परिचालन लागत को कम करने, तेल आयात (28 करोड़ लीटर) में कमी लाने और कार्बन उत्सर्जन 139 करोड़ किलोग्राम कम करने में मदद करेगा जो 6 करोड़ वृक्षारोपण के बराबर है।