RCB जश्न भगदड़ में मौत
RCB जश्न भगदड़ में मौत

रायपुर/ ETrendingIndia / RCB जश्न , बेंगलुरु में बुधवार को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की आईपीएल जीत का जश्न मनाने का दिन एक बड़ी त्रासदी में बदल गया, जब एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और 47 घायल हो गए। सभी मृतक 40 वर्ष से कम उम्र के थे।कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए । बताया गया है कि 35,000 की क्षमता वाले स्टेडियम में दो लाख से अधिक लोग जमा हो गए थे।विपक्ष ने इस पर भीड़ प्रबंधन की विफलता को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की।

लेकिन सवाल यह भी उठता है कि यह लोगों का कैसा उत्साह जुनून है, जो हमें भीडतंत्र का हिस्सा बनाता है ? यह कैसी व्यवस्था है जो भीड़ बढ़ाने को तो प्रेरित करती हैं लेकिन व्यवस्था बढ़ाने पर जोर नहीं देती, यह कैसी राजनीति है जो विपक्ष की आलोचना तो करती हैं लेकिन देश में खुद भीडतंत्र को बढ़ावा देती हैं।

केवल इसी वर्ष की बात की जाए तो देश में अनेक स्थानों पर भगदड़ की दुखद घटनाएँ हुई हैं, जिनमें अनेक लोगों की असमय और आकस्मिक रूप से जान गई और कई घायल हुए।

मौनी अमावस्या के अवसर पर प्रयागराज महाकुंभ के संगम क्षेत्र में स्नान के समय मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुई और 60 से अधिक घायल हुए। तिरुपति, आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर मंदिर के वैकुंठ द्वार दर्शनम के टिकट के धक्का -मुक्की और भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए । शिरगाओ, गोवा के श्री लैराई देवी मंदिर उत्सव के भगदड़ में 6 लोगों की मौत हो गई और लगभग 100 लोग घायल हुए ।

इसी तरह छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ मंदिर में भी नवरात्रि के दौरान मचे भगदड़ में एक की मौत और 30 लोग घायल हुए।

इन आयोजनों के बाद जहां दुख और पीड़ित परिवारों के आंसू का सैलाब नजर आता है वहीं मौत पर राजनीति का विद्रूप खेल भी दिखाई देता है।

भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था है महत्वपूर्ण, अपने आप को सुरक्षित रखना भी है जरूरी

इन घटनाओं ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि जहां बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत महत्वपूर्ण हैं वहीं प्रशासनिक लापरवाही, अफवाहों और अपर्याप्त योजना के कारण ऐसे हादसे होते हैं, जिन्हें उचित तैयारी और जागरूकता से ही रोका जा सकता है।

भगदड़ एक ऐसी स्थिति है जब भीड़ भय, उत्साह या घबराहट में अचानक बेकाबू हो जाती है। इसके मुख्य कारण 1.मानवीय, 2.अवसंरचनात्मक और 3. प्रबंधन से जुड़े होते हैं।

मानवीय कारणों में डर, घबराहट, अत्यधिक उत्साह या धैर्य की कमी शामिल हैं।

अवसंरचनात्मक कारणों में जगह की कमी, तंग रास्ते, निकासी के कम रास्ते, खराब रोशनी और फिसलन वाली सतहें जैसे शामिल हैं।

प्रबंधन की विफलता में प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी, गलत योजना और स्पष्ट निर्देशों की अनुपस्थिति के साथ नागरिकों में भी ऐसी घटनाओं से बचने के लिए जानकारी का अभाव प्रमुख हैं।

भगदड़ में मौत आमतौर पर छाती पर दबाव पड़ने से होती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

इसका प्रभाव शारीरिक चोटों से लेकर मानसिक आघात, PTSD( पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर)और कानूनी जांच तक हो सकता है।

ऐसी घटनाएं भविष्य में सार्वजनिक आयोजनों में सुरक्षा नियमों की सख्ती की मांग को जन्म देती है।

बचाव और फंसने पर सही कदम उठाना जीवन रक्षक हो सकता है

भीड़भाड़ वाले इलाकों में बचाव और फंसने पर सही कदम उठाना जीवन रक्षक हो सकता है। भगदड़ या अत्यधिक भीड़ में सुरक्षा के लिए नीचे कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:

  1. भीड़ का आकलन करें:
    यदि कहीं बहुत भीड़ दिखाई दे, तो वहाँ जाने से बचें या किनारे रहें। प्रवेश और निकास द्वार पहले से पहचान लें।
  2. आरामदायक कपड़े और जूते पहनें: भीड़ में दौड़ने या गिरने की स्थिति में टाइट कपड़े और आरामदायक जूते सहायक होते हैं।
  3. मित्रों /परिवार से दूरी न बनाएं: हाथ पकड़कर चलें या मिलने की जगह तय रखें।
  4. खाली बोतल, बैग आदि से बचें: फर्श पर कुछ भी हो तो उस पर पैर रखने से बचें — फिसलने या गिरने का खतरा बढ़ता है।

भीड़ में फंस जाने पर क्या करें:

  1. शांत रहें (Stay Calm) :
    घबराहट भगदड़ को और बढ़ा सकती है।
  2. भीड़ के साथ चलें, उसके खिलाफ नहीं : भीड़ के दबाव के साथ आगे बढ़ें — विरोध करने से गिरने की आशंका बढ़ जाती है।
  3. हाथों से शरीर की सुरक्षा करें : हाथों को कोहनी से मोड़कर (box position) अपने सीने के सामने रखें — इससे सीने और फेफड़ों को दबाव से बचाया जा सकता है।
  4. गिरें नहीं, और गिरें तो रोल करें :यदि आप गिर जाते हैं, तो कोशिश करें एक ओर लुढ़ककर भीड़ से हटने की। उठने के लिए पेट के बल आकर घुटनों और हाथों से धक्का दें।
  5. दीवार/बैरिकेड्स से दूरी बनाए रखें : किनारे फँसने की स्थिति में दबने का खतरा अधिक होता है। जरूरी बातें:

मोबाइल हमेशा चार्ज रखें। SOS ऐप्स या आपातकालीन संपर्क नंबर पहले से सेट रखें। किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें — प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें।

यदि आप बच्चों, बुज़ुर्गों या दिव्यांगों के साथ हैं, तो उनके लिए विशेष सावधानी और तैयारी भी ज़रूरी है। हो सके तो भीड़भाड़ वाली जगह जाने से बचे।