रायपुर / ETrendingIndia / भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने वित्तीय बाजारों को अधिक पारदर्शी, समावेशी और निवेशक-अनुकूल बनाने के उद्देश्य से SEBI बाजार सुधार 2025 के तहत कई बड़े बदलावों को मंजूरी दी है।
इन फैसलों की घोषणा चेयरपर्सन तुहिन कांता पांडे की अध्यक्षता में हुई बोर्ड मीटिंग में की गई।
सबसे बड़ा बदलाव स्टार्टअप्स से जुड़ा है। अब कंपनी के सार्वजनिक होने के बाद भी उनके संस्थापक Esops
(इम्प्लॉयी स्टॉक ओनरशिप प्लान) रख सकेंगे।
पहले उन्हें प्रमोटर माना जाता था और इस वजह से वे Esops के योग्य नहीं होते थे।
हालांकि, इसके दुरुपयोग से बचाव के लिए IPO फाइल करने और Esops जारी करने के बीच 1 वर्ष का अंतर अनिवार्य किया गया है।
एक और महत्वपूर्ण निर्णय में, SEBI ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSUs) के स्वैच्छिक डीलिस्टिंग को
आसान बनाने के लिए नया फ्रेमवर्क मंजूर किया है।
अब यदि शेयरधारक सहमत हों, तो इन कंपनियों को शेयर बाजार से हटाना पहले की तुलना में सरल हो जाएगा।
SEBI बाजार सुधार 2025 के तहत यह कदम सरकारी कंपनियों को अधिक लचीलापन देगा।
SEBI ने उन विदेशी निवेशकों के लिए भी नियम आसान किए हैं जो केवल सरकारी बॉन्ड में निवेश करते हैं।
क्योंकि ये बॉन्ड कम जोखिम वाले होते हैं, इसलिए पंजीकरण और अनुपालन संबंधी प्रक्रियाओं को सरल किया गया है।
इससे भारत में स्थिर रिटर्न की तलाश करने वाले वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
SEBI बाजार सुधार 2025 के तहत वैकल्पिक निवेश फंड (AIFs) को भी लाभ मिला है।
अब ये फंड अपने निवेशकों को “को-इंवेस्टमेंट व्हीकल” के जरिए उन्हीं कंपनियों में अलग से निवेश की सुविधा दे सकते हैं,
जहां AIF पहले से निवेश कर चुका हो।
इसका उद्देश्य बड़े निवेशकों को सीधे बेहतर डील्स में भागीदारी का मौका देना है।
कुल मिलाकर, SEBI के ये सुधार भारतीय शेयर बाजार को अधिक प्रतिस्पर्धी और निवेशकों के लिए अनुकूल
बनाने की दिशा में एक ठोस कदम हैं।
विशेष रूप से SEBI बाजार सुधार 2025 का असर स्टार्टअप्स, सरकारी कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।