रायपुर / ETrendingIndia / अंतरिक्ष मांसपेशी क्षय शोध , भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रचते हुए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मांसपेशी क्षय शोध की कमान संभाली है।
शुक्ला, जो अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय हैं, इस समय Axiom Space के Ax-4 मिशन का हिस्सा हैं। वे Kibo मॉड्यूल में मांसपेशी स्टेम सेल कल्चर का विश्लेषण कर रहे हैं ताकि यह जाना जा सके कि अंतरिक्ष में मांसपेशियों की हानि को कैसे रोका जा सकता है।
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी से लंबे मिशनों के दौरान मांसपेशियों का क्षय (Muscle Atrophy) आम समस्या बन जाती है। इस शोध का उद्देश्य ऐसे सप्लीमेंट्स विकसित करना है जो मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रख सकें।
यह अनुसंधान न केवल अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उपयोगी है, बल्कि पृथ्वी पर भी मांसपेशी हानि से जूझ रहे रोगियों को नई उम्मीद दे सकता है। इसलिए यह प्रयोग वैज्ञानिक और चिकित्सकीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इसके अलावा, शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में 60 प्रयोगों में भाग लिया, जो 31 देशों से संबंधित हैं। इस तरह वे भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए एक वैश्विक वैज्ञानिक मिशन में शामिल हैं।
अंततः, शुभांशु शुक्ला का यह प्रयास भारत की अंतरिक्ष चिकित्सा और जैव-वैज्ञानिक अनुसंधान में भागीदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहा है। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से बल्कि राष्ट्र की प्रतिष्ठा के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।