रायपुर / ETrendingIndia / अमेरिका H-1B वीजा कार्रवाई , ट्रंप प्रशासन की नई पहल ‘प्रोजेक्ट फायरवॉल’
अमेरिकी ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा प्रोग्राम में संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। ‘प्रोजेक्ट फायरवॉल’ नामक इस पहल के तहत अब तक 175 से अधिक कंपनियों की जांच शुरू की गई है। यह कदम उन संस्थानों को निशाना बना रहा है जो विदेशी कुशल कर्मचारियों के वीजा का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस कार्रवाई के साथ ही राष्ट्रपति ट्रंप ने सितंबर में नए H-1B वीजा आवेदन पर एक लाख डॉलर की अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी।
कानूनी चुनौतियां और भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
हालांकि, इस कार्रवाई को लेकर कानूनी विवाद भी शुरू हो गए हैं। अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स और कई सांसदों ने इस नीति का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह कदम अमेरिका और भारत के संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
सांसदों ने यह भी कहा कि H-1B वीजाधारकों ने अमेरिका में कई सफल कंपनियों की स्थापना की है, जिससे लाखों नौकरियां और नवाचार के अवसर पैदा हुए हैं।
भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
साल 2024 में भारतीय नागरिकों को कुल H-1B वीजा आवेदनों में से 70 प्रतिशत से अधिक मंजूरी मिली थी। इसलिए इस कार्रवाई का असर सबसे ज्यादा भारतीय आईटी और इंजीनियरिंग पेशेवरों पर पड़ सकता है।
इसके बावजूद, ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह नीति “अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता” देने की दिशा में है और इसका उद्देश्य वीजा प्रणाली में पारदर्शिता लाना है।
तकनीकी क्षेत्र में चिंता और सुधार की उम्मीदें
टेक सेक्टर ने इस कदम पर चिंता जताई है क्योंकि इससे अमेरिका में कुशल तकनीकी प्रतिभा की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है। फिर भी, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से वीजा प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष और जवाबदेह बनेगी।
अंत में, यह स्पष्ट है कि अमेरिका H-1B वीजा कार्रवाई केवल इमिग्रेशन नीति का हिस्सा नहीं, बल्कि वैश्विक टेक उद्योग पर असर डालने वाला निर्णय है।
