South India Natural Farming Summit
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रायपुर 19 नवंबर 2025/ ETrendingIndia / South India Natural Farming Summit: PM Modi said – Promote multi-culture farming instead of monoculture, the country will become a global hub for natural farming/ कृषि शिखर सम्मेलन 2025 ,कोयंबटूर में आयोजित दक्षिण भारत प्राकृतिक कृषि शिखर सम्मेलन 2025 में प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती को भारत की परंपरा और भविष्य का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि नैचुरल फार्मिंग भारत का स्वदेशी विचार है, जिसे हमारे पूर्वजों ने विकसित किया और जो पर्यावरण के अनुकूल है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि प्राकृतिक खेती का प्रभाव दक्षिण भारत में सबसे अधिक दिख रहा है। तमिलनाडु में ही लगभग 35 हजार हेक्टेयर भूमि पर ऑर्गैनिक और नैचुरल फार्मिंग हो रही है। उन्होंने दक्षिण भारत के किसानों द्वारा अपनाई जा रही परंपरागत विधियों—पंचगव्य, जीवामृत, बीजामृत और आच्छादन—की सराहना की। उनके अनुसार ये तरीके मिट्टी की सेहत सुधारते हैं, फसलों को केमिकल मुक्त रखते हैं और खेती की लागत कम करते हैं।

उन्होंने कहा कि श्रीअन्न (मिलेट्स) और नैचुरल फार्मिंग का संगम धरती की रक्षा और पोषण सुरक्षा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। तमिल रिवाजों, जिसमें भगवान मुरुगन को मिलेट से बने व्यंजन का भोग लगाया जाता है, का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मिलेट्स को दुनिया के बाजारों तक पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता है।

प्रधानमंत्री ने मोनोकल्चर के बजाय मल्टीकल्चर खेती को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने केरल और कर्नाटक के पहाड़ी क्षेत्रों में मल्टी-स्टोरी एग्रीकल्चर—एक साथ नारियल, सुपारी, फलदार पौधे, मसाले और काली मिर्च की खेती—को आदर्श मॉडल बताया और इसे पूरे देश में अपनाने पर जोर दिया।

उन्होंने याद दिलाया कि दक्षिण भारत सदियों से कृषि नवाचार का केंद्र रहा है—यहां दुनिया के सबसे पुराने बांध, मंदिरों के तालाब और वैज्ञानिक जल प्रबंधन प्रणाली के उदाहरण आज भी मौजूद हैं। इसलिए उन्होंने विश्वास जताया कि प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में नेतृत्व भी यहीं से उभरेगा।

प्रधानमंत्री ने किसानों से अपील की कि वे “वन एकड़, वन सीज़न” मॉडल अपनाएं—यानी एक सीजन में अपने खेत के एक कोने में एक एकड़ पर नैचुरल फार्मिंग शुरू करें और सकारात्मक परिणाम मिलने पर धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं।

उन्होंने वैज्ञानिकों और कृषि संस्थानों से कहा कि वे प्राकृतिक खेती को कृषि पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएं और गांवों में किसानों के खेतों को “लिविंग लैब” बनाएं। साथ ही, FPOs के माध्यम से किसानों के समूह बनाकर सफाई, पैकिंग, प्रोसेसिंग और ई-नाम से बाजार तक सीधा जुड़ाव बढ़ाने पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पारंपरिक ज्ञान, विज्ञान और सरकारी समर्थन—तीनों के मिलकर काम करने से किसान भी समृद्ध होगा और धरती मां भी स्वस्थ रहेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह आयोजन प्राकृतिक खेती को नई दिशा देगा और नए समाधान सामने लाएगा।