रायपुर, 07 दिसम्बर 2025/ ETrendingIndia / प्रेशर इरिगेशन नेटवर्क तकनीक , मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को मध्यप्रदेश शासन के जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री राजेश राजौरा ने आज भोपाल में सिंचाई की नवीनतम तकनीक PIN (Pressure Irrigation Network) के संबंध में विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि पारंपरिक सिंचाई पद्धतियों की तुलना में यह प्रणाली कहीं अधिक कुशल, आधुनिक और जल संरक्षण के अनुरूप है।
श्री राजौरा ने प्रस्तुति के दौरान बताया कि जहाँ पारंपरिक नहर आधारित सिंचाई में लगभग 35 प्रतिशत एफिशिएंसी प्राप्त होती है, वहीं प्रेशर इरिगेशन प्रणाली में दक्षता बढ़कर 65 प्रतिशत तक पहुँच जाती है। इस तकनीक में प्रेशर आधारित पाइपलाइनों से सिंचाई की जाती है, जिससे पानी का रिसाव और अपव्यय कम होता है तथा बिजली की उल्लेखनीय बचत होती है।
इस प्रणाली में भू-अधिग्रहण की आवश्यकता न्यूनतम होती है, जिससे परियोजनाएं समय पर और लागत प्रभावी तरीके से पूरी की जा सकती है।
मध्यप्रदेश में 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इस तकनीक से सिंचाई की जा रही है और आगामी वर्षों में इसे 40 लाख हेक्टेयर तक विस्तारित करने का लक्ष्य है।
इस मॉडल से न केवल जल उपयोग दक्षता बढ़ी है, बल्कि किसानों की उत्पादकता और सिंचाई सुविधा में भी महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिला है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रेजेंटेशन की सराहना करते हुए कहा कि सिंचाई की यह उन्नत तकनीक जल प्रबंधन की वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है। “ इस तकनीक का छत्तीसगढ़ में भी अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करेंगे, ताकि राज्य के किसानों को कम पानी में अधिक सिंचाई सुविधा और बेहतर उत्पादन मिल सके।
मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों को इस तकनीक के अध्ययन, परीक्षण और चरणबद्ध क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश दिए।
प्रेशर इरिगेशन नेटवर्क तकनीक , इस अवसर पर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध सिंह, मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता श्री विनोद देवड़ा, अधीक्षण यंत्री श्री विकास राजोरिया और अधीक्षण यंत्री श्री शुभंकर विश्वास भी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि पारंपरिक नहर आधारित सिंचाई में पानी का एक बड़ा हिस्सा रिसाव, वाष्पीकरण और अनियंत्रित बहाव के कारण व्यर्थ हो जाता है, जिससे खेतों तक वास्तविक जल आपूर्ति सीमित रहती है और पूरी कमांड एरिया में समान सिंचाई नहीं हो पाती। नया मॉडल जल संरक्षण और उत्पादन बढ़ाने दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इससे परियोजनाओं की लागत घटती है और कार्य समय पर पूरे होते हैं। पारंपरिक सिंचाई की तुलना में इस तकनीक में पंपिंग दक्षता अधिक होती है, जिससे बिजली की उल्लेखनीय बचत होती है। समान दबाव से पानी वितरण होने के कारण खेतों के टेल एंड के क्षेत्रों को भी पर्याप्त पानी मिलता है।
