मत घबराना मुश्किल से …
कहीं उलझ झंझावातों में
आकर बैठे हो गुमसुम।
कैसे कह दें भाग रहे हो
दिखा ज़िंदगी को दुम।।
डगर ज़िंदगी की यह कैसी
ऊबड़-खाबड़ मिली हुई है,
देख -देख सागर की लहरें
यही सोचते होगे तुम।।
मत घबराना मुश्किल से …
गम के भागीदार बनें, खुशियाँ भी बाँटें
कभी- कभी पथ पर बिखरे रहते हैं कांटे ।
सहज नहीं ,मुश्किल से मंजिल हासिल होती
दुख की खाई ,साहस से जल्दी हम पाटें ।।
मत घबराना मुश्किल से…
सूर्यकान्त गुप्ता, जुनवानी, भिलाई (छ.ग.)
रायपुर 9 सितंबर 2025 / ETrendingIndia /
