रायपुर 16 सितंबर 2025 / ETrendingIndia / Women weave the identity of self-reliance with silk thread / रेशम से महिला आत्मनिर्भरता , मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के कुशल नेतृत्व एवं उनके मार्गदर्शन में कृषि, उद्यानिकी और मत्स्य पालन की तरह ही रेशम विभाग भी हितग्राहियों की आजीविका सशक्त करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
रेशम से महिला आत्मनिर्भरता , इसी क्रम में दंतेवाड़ा जिले के शासकीय रेशम केन्द्र, चितालंका की महिला स्व-सहायता समूह ने मलबरी रेशम कीट पालन का सफल पालन कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।
स्व-सहायता समूह की ये महिलाएं
आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश कर रही हैं।
रेशम विभाग द्वारा हितग्राही समूहों को स्वस्थ रेशम कीट अंडे उपलब्ध कराए जाते हैं। इन अंडों से हैचिंग से लेकर कोसा निर्माण तक की संपूर्ण प्रक्रिया हितग्राही स्वयं करते हैं। तत्पश्चात तैयार कोसों के विक्रय से उन्हें आर्थिक आमदनी प्राप्त होती है।
इस वर्ष टसर रेशम कीट पालकों ने तेरह सौ स्वस्थ अंडों से 45 दिनों की अवधि में 45 हजार नग डाबा कोसा का उत्पादन किया गया। इन के विक्रय से समूह को 72 हजार 300 सौ रुपए की आय प्राप्त हुई। यह प्रथम फसल से हुई आमदनी समूह की महिलाओं के उत्साह और आत्मविश्वास को दोगुना कर रही है।
अब समूह की महिलाएँ इस वित्तीय वर्ष में दूसरी एवं तीसरी फसल लेने के लिए पूरी तरह तैयार और प्रेरित हैं।
यह पहल दंतेवाड़ा जिले में आजीविका संवर्धन और महिला सशक्तिकरण का मजबूत उदाहरण बनकर उभर रही है।